
राज्यपालों को राह दिखाता उच्चतम न्यायालय
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर एक दूरगामी निर्णय दिया है।
मामला क्या है?
- तमिलनाडु के राज्यपाल ने अनुच्छेद 200 के अंतर्गत 10 विधेयकों पर सहमति देने में अनावश्यक देरी की। राज्य सरकार ने इसे संवैधानिक उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी थी।
- राज्यपाल की सहमति न मिलने पर विधानसभा ने इन्हें फिर से पारित किया, और उन्हें वापस राज्यपाल को भेज दिया। राज्यपाल ने फिर भी इन पर सहमति नहीं दी और इन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया।
अनुच्छेद 200 के अंतर्गत पारित विधेयक पर राज्यपाल के पास विकल्प –
- विधेयक पर स्वीकृति,
- स्वीकृति रोकना,
- विधेयक (धन विधेयक के अलावा) को पुनर्विचार के लिए वापस भेजना, तथा
- विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना।
उच्चतम न्यायायल का निर्णय –
- न्यायालय ने विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने की कार्रवाई को ‘उचित‘ नहीं बताया है। राज्यपाल के आचरण को मनमाना, गलत और कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण बताया है।
- निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल जांच के बहाने कानून बनाने में अनिश्चित काल की देरी नहीं कर सकते हैं। मनमाने ढंग से या दंड से मुक्त होकर काम नहीं कर सकते हैं।
- न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्यपाल को विधेयक पर उस समय सहमति दे देनी चाहिए, जब वह राज्य विधानसभा में पुनः परामर्श के बाद उनके सामने आया है। वे सहमति से तभी इनकार कर सकते हैं, जब विधेयक अलग हो। उसमें बदलाव किए गए हों।
- न्यायालय ने विधेयकों पर सहमति की समय सीमा भी निर्धारित कर दी है। सहमति रोकने के लिए एक महीने, राज्य मंत्रिमंडल की सलाह के विरुद्ध कार्य करने पर तीन महीने और पुनर्विचार के बाद पुनः प्रस्तुत विधेयकों को एक महीने, राज्य मंत्रिमंडल की सलाह के विरूद्ध कार्य करने पर तीन महीने और पुनर्विचार के बाद पुनः प्रस्तुत विधेयकों को एक महीने रोकने का समय दिया गया है।
- न्यायालय ने राज्यपाल के कार्यालय को कमजोर किए बिना, निर्वाचित विधायिका की सर्वोच्चता को यथावत् रखा है।
- यह निर्णय राज्यों की प्रशासनिक स्वायत्तता को बढ़ाता है।
- यह भारत के संघीय सिद्धांतों को रेखांकित करता है।
न्यायालय का यह निर्णय केवल एक कानूनी मील का पत्थर नहीं है, बल्कि संवैधानिक नैतिकता और सहकारी संघवाद और राज्यपाल के पद की गरिमा की बहाली का मार्गदर्शक भी है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 10 अप्रैल 2025