राष्ट्रों के संघर्षों को रोकने में नाकामी क्यों है?
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विश्व में चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और अब शुरू हुए इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बाद संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या संयुक्त राष्ट्र युद्ध खत्म करने में शक्तिहीन हो गया है? इजरायल-हमास संघर्ष को समाप्त करने में संयुक्त राष्ट्र अप्रभावी क्यों है?
- संयुक्त राष्ट्र को वे देश अस्तित्व में लेकर आए थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे ही सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य बन गए। शक्ति के समीकरण बदलते रहते हैं। शीत युद्ध के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र की भूमिका में लगातार गिरावट आती चली गई है। सुरक्षा परिषद् की सुप्रीम शक्तियों ने इसे नाम का निकाय बना दिया, और अपनी मनमानी करते गए। ईराक और अफगानिस्तान में अमेरिका, माले में फ्रांस, लीबिया में अमेरिका और यूरोप दोनों घुसते चले गए। 2008 के बाद से ही बहुध्रुवीय विश्व-व्यवस्था स्थापित हो सकी है।
दूसरा प्रश्न आता है कि दोनों ही संघर्षों में भारत के दोनों पक्षों के साथ मजबूत संबंध रहे। इसके बावजूद हिंसा को नियंत्रित करने के लिए भारत की ओर से कोई दृढ़ कूटनीतिक इच्छा क्यों नहीं प्रदर्शित की जा रही है?
- पश्चिम एशियाई क्षेत्र में भारत की रूचि बढ़ी है। खाड़ी के अरब देशों और इजरायल के साथ हमारे मजबूत संबंध है। भारत का एक बड़ा प्रवासी वर्ग है। इसके अलावा, हमें खाड़ी से ऊर्जा आपूर्ति मिलती है।
- नेतन्याहू विभाजनकारी प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। वह कई ऐसे विवादास्पद न्यायिक सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे न्यायिक जाल से बच सकें।
- फिलिस्तीनी मुद्दे को अरब और इस्लामी जगत से समर्थन मिल रहा है। लेकिन खाड़ी के अरब देशों में ज्यादा सहानुभूति नहीं है। रूस-यूक्रेन संघर्ष में विस्थापित यूक्रेनियनों को पोलैण्ड ने स्वीकार कर लिया था। लेकिन मिस्र ने फिलिस्तीनियों को शरण देने से मना कर दिया है।
- पश्चिम ने अब्राहम समझौते के माध्यम से जिस समाधान की कल्पना की थी, वह नष्ट हो गया है।
- इस वर्ष भारत की जी-20 समूह देशों की अध्यक्षता के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 समूह देशों के भीतर कई मुद्दों पर सहमति को रेखांकित किया है। इनमें आतंकवाद और नागरिकों की मृत्यु के प्रति शून्य सहिष्णुता शामिल थी। इसके अलावा भी जिन पाँच मुद्दों पर सहमति बनी है, उन पर जल्द अमल किए जाने की उम्मीद जताई है। ये पाँच समझौते हैं –
मानवीय सहायता का शीघ्र, प्रभावी और सुरक्षित वितरण, युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई का स्वागत, दो-राज्य समाधान के माध्यम से इजरायल-हमास संघर्ष को हल करना; क्षेत्रीय शांति और स्थिरता एवं बातचीत और कूटनीति के माध्यम से राजनीतिक तनाव को कम करने की आवश्यकता। इस माध्यम से जी-20 और उसमें शामिल भारत हरसंभव सहायता करने के लिए तैयार है।
अपने स्तर पर भारत संघर्ष विराम के प्रयास में लगे देशों के साथ लगातार संपर्क में है। हमारे कुछ हित हैं। उन्हें देखते हुए सीधे मध्यस्थता भले ही न कर सकें, लेकिन जी-20 समूह देशों में अपनी मजबूत स्थिति के माध्यम से प्रयास जरूर कर सकते हैं, और कर रहे हैं।
समाचार पत्रों पर आधारित। 3 नवंबर, 2023, 23 नवंबर, 2023