क्विक-कॉमर्स किस कीमत पर

Afeias
09 Jul 2025
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पिछले कुछ समय में मिनटों में उपभोक्ता वस्तुओं या एफएमसीजी की डिलीवरी का चलन बहुत बढ़ गया है। उपभोक्ताओं को इसमे लाभ और राहत मिल रही है, लेकिन कई मामलों में इसके दूसरे पहलू भी हैं।

कुछ बिंदु –

  • अधिकांश कंपनियों के पास इसके लिए गोदामों की व्यवस्था नहीं है। अव्यवस्थित डंप और पिकअप जोन मॉडल में एक छिपी हुई लागत है।
  • अस्थायी गोदामों में जल्दी खराब होने वाले समान के लिए कोल्ड स्टोरेज नहीं होते हैं। इससे सामानों की ताजगी कम हो जाती है, और स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी बात आ जाती है। एक प्रकार से ये कंपनियां गुणवत्ता से समझौता कर रही हैं।
  • जल्दी पैक करने में सामान बिखर जाता है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद टूट जाते हैं। ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है।
  • डिलीवरी एजेंट को बहुत ही कम समय में सामान पहुंचाने का दबाव रहता है। खराब सड़कों और बढ़ते ट्रैफिक के बीच उनकी रेस जानलेवा साबित हो रही है।
  • इन कारणों से ग्राहकों की शिकायतें बढ़ रही हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) पूरे भारत में क्विक डिलीवरी स्टोर्स के औचक निरीक्षण बढ़ा रहे हैं।

अंततः मानकों, सुरक्षा और स्थिरता की अनदेखी करने के लिए जल्दबाजी कोई बहाना नहीं है। क्विक-कॉमर्स उद्योग को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्समें प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 9 जून, 2025