प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
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- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को स्वीकृति दी है।
- इस योजना का उद्देश्य राज्यों के बीच और यहाँ तक कि राज्य के भीतर जिलों के बीच ‘उत्पादकता में असमानताओं‘ को दूर करना है।
- इसका क्रियान्वयन विभिन्न विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं के अभिसरण (कन्वर्जेन्स) के माध्यम से किया जाएगा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और फसल बीमा आदि योजनाओं को इसमें ही शामिल कर दिया जाएगा।
- योजना में निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय साझेदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
- योजना पर छह वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 24,000 करोड़ रुपये का खर्च तय किया गया है।
- योजना में केंद्र प्रत्येक माह प्रगति के 117 प्रमुख संकेतकों की निगरानी करेगा।
- कृषि संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अनुदान मांगों पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, कुल केंद्रीय योजना परिव्यय के प्रतिशत के रूप में कृषि के लिए आवंटन में निरंतर गिरावट देखी है। सार्वजनिक निवेश में और कमी कृषि के लिए विनाशकारी हो सकती है। योजना की निजी-सार्वजनिक भागीदारी से खाद्यान्न, खाद्य तेल और दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ने की उम्मीद है।
- जिला योजनाओं के आधार पर कार्य करने वाली इस योजना से फसल विविधीकरण, जल और मृदा-स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढेगी।
- सभी योजनाओं को एक ही छत के नीचे लाने से पता चलता है कि सरकार कृषि क्षेत्र में कल्याणकारी, वित्तीय और तकनीकी योजनाओं के संचालन में एकरूपता चाहती है। इसे और अधिक सहभागी बनाने के लिए राज्यों, स्थानीय स्वशासन, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों व व्यापारी संगठनों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 19 जुलाई 2025