पर्यावरण की रक्षा एवं जलवायु-अनुकूल विकास का संतुलन
To Download Click Here.
हाल ही में उच्च न्यायालय ने भारतीय पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के मुख्य आवास को बचाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई है। यह समिति पारिस्थितिकी संरक्षण के साथ विकास का संतुलन बैठाने में सही निर्णय ले सकेगी।
कुछ बिंदु –
- विशेषज्ञ समिति का गठन इसलिए महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय कहा जा सकता है, क्योंकि ज्यों-ज्यों भारत कार्बनमुक्त और जलवायु अनुकूल आर्थिक विकास की ओर बढ़ता जाएगा, त्यों-त्यों ऐसे द्वंद भरे मामले सामने आते जाएंगे।
- भारत वैकल्पिक ऊर्जा साधनों की ओर बढ़ते हुए बिजली का नेटवर्क भी तेजी से फैलाएगा। इसका अर्थ अधिक तार और केबल का जाल होगा।
- जनसंख्या घनत्व, समृद्ध जैव विविधता संसाधन, सांस्कृतिक पवित्रता, वनवासियों की आजीविका, वनों का संरक्षण और जल विज्ञान प्रणालियों के साथ विकास का संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। अभी तक हमारे मानदंड आर्थिक विकास को प्राथमिकता देते रहे हैं। परंतु अब जलवायु परिवर्तन के विध्वसंक युग में इन्हें बदलना होगा।
- 2070 तक हमें नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना है। 2030 तक 500 गीगावाट गैर जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य और नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त 50% बिजली की खपत का लक्ष्य पूरा करना है।
इस प्रकार के बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अन्य जीवित प्राणियों की हानि नहीं की जा सकती है। न्यायालय का कदम इसी दृष्टिकोण को सामने रखता है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 9 अप्रैल, 2024
Related Articles
×