पर्वतीय स्थलों को राहत पहुंचाने के प्रयास

Afeias
26 Apr 2024
A+ A-

To Download Click Here.

हमारे पर्वतीय पर्यटन स्थल बढ़ते ट्रैफिक से काफी समय से घुटन का अनुभव कर रहे हैं। यही नहीं, इन क्षेत्रों में बढ़ता प्लास्टिक कचरा, कई वन्य पशुओं का उन्मूलन और दक्षिण भारतीय नीलगिरी वनों में हाथियों का अवैध शिकार, बिजली के तारों से हाथियों की मौत, रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौत चिंता का विषय हैं। इन मुद्दों पर दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने कुछ महत्वपूर्ण निर्णय दिए है।

  • इन मामलों पर बनाई गई खंडपीठ के दबाव में राज्य सरकार ने आईआईटी मद्रास और अन्ना विश्वविद्यालय के माध्यम से वैज्ञानिक अध्ययन करने के बाद घाट की सड़कों के लिए ‘वहन क्षमता’ तय करके वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • पीठ ने प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए पर्यटकों की तलाशी लेने और प्लास्तिक की पानी की बोतलों सहित हानिकारक प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के लिए प्रवेश बिंदुओं पर चेकपोस्ट स्थापित करने का आदेश दिया है। साथ ही हिल स्टेशन पर वाटर डिस्पेन्सर लगाने को प्रोत्साहित किया है।
  • जंगलों में छोड़ी गई शराब की खाली बोतलों के कांच के टुकड़ों से जानवरों को गंभीर चोट पहुंचती है। पीठ ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम को खाली बोतलें वापस करने के लिए बोतल बाय बैक शुरू करने के लिए प्रेरित किया है।

सुरम्य और सुखद जलवायु वाले सभी पर्वतीय स्थल पिछले कुछ दशकों से अपने बुनियादी ढांचे पर दबाव से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दूसरी ओर इनकी अर्थव्यवस्थाएं पर्यटन पर निर्भर करती है। ऐसे में मद्रास उच्च न्यायालय का यह प्रयास प्रशंसनीय है। आशा है कि इन स्थलों से जुड़े राज्य स्थायी पर्यटन, और पर्यावरण की सुरक्षा को सक्षम करने के उपाय सुनिश्चित करेंगे।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित मोहम्मद इमरानुल्लाह एस के लेख पर आधारित। 3 अप्रैल, 2024

Subscribe Our Newsletter