नियर फील्ड कम्यूनिकेशन तकनीक या एनएफसी
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एनएफसी क्या है ?
यह एक शॉर्ट रेंज वायरलैस कनेक्टिविटी तकनीक है। इसके माध्यम से एनएफसी चिप वाले उपकरणों में सूचना का आदान-प्रदान एक टच से किया जा सकता है।
इस तकनीक में डेटा का आदान-प्रदान एक इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो फील्ड के द्वारा किया जाता है।
भारत में इसकी शुरूआत –
फिलहाल गूगल पे ने इससे भुगतान का प्रावधान दिया है। इसकी प्रक्रिया और गति बहुत तीव्र है।
अन्य लाभ –
- सार्वजनिक परिवहन में कान्टेक्ट लैस टिकट जारी करना।
- यह संपर्करहित कार्ड और पाठक नेटवर्क और इमारतों को सुरक्षित करने से लेकर, इन्वेंट्री और बिक्री की निगरानी, पुस्तकालय की किताबों पर नजर रखने और मानव रहित टोल बूथ चलाने में उपयोगी है।
- यह घरों में वाईफाई और ब्लूटूथ डिवाइस भी स्थापित कर सकता है।
- इसके रिस्टबैंड के माध्यम से रोगी के आंकड़ों की निगरानी के लिए, स्वास्थ्य सेवा में इसका उपयोग है।
- इसे वायरलेस चार्जिंग में भी इस्तेमाल किया जाता है।
कितना सुरक्षित –
इस तकनीक को एक-दूसरे से कुछ सेंटीमीटर के भीतर उपकरणों के बीच संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। इससे साइबर हमलावरों के लिए इसके संचार का पता लगाना मुश्किल होता है।
इसी तकनीक में मानवीय त्रुटि की संभावना कम है।
अन्य वायरलेस तकनीकों की तुलना में इसका स्थान –
आईआरडीए प्रौद्योगिकी भी इसी प्रकार की तकनीक रही है, जो इन्फ्रारेड लाइट पर डेटा के आदान-प्रदान पर आधारित है। इसका उपयोग मुख्य रूप से रिमोट कंट्रोल के लिए होता रहा है। इसे तकनीक के बड़े डेटा संचार के लिए ब्लूटूथ या वाईफाई कनेक्शन में बदल दिया गया था, जिसके रिसीवर उपकरणों को अपनी बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है। इन्हें एनएफसी की तरह रेडियोफ्रीक्वेंसी क्षेत्र द्वारा संचालित नहीं किया जा सकता है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित अभिषेक चटर्जी के लेख पर आधारित। 4 अप्रैल, 2022