नवीकरणीय ऊर्जा और भारत की उपलब्धियाँ
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जलवायु परिवर्तन की निरंतर विकराल होती चुनौती के बीच स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम बढ़ाने को लेकर कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए। विकासशील देशों के लिए जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर लौटना जटिलता से भरा हुआ है। हमें पूरी तरह से जीवाश्म ईंधन त्यागने की नहीं, बल्कि गैर जीवाश्म ईंधन पर निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा के लाभ –
- सौर और पवन ऊर्जा, कोयले व गैस से बनने वाली बिजली से भी सस्ती है। बीते एक दशक में इसकी लागत 80% से भी अधिक घट गई है।
- एक बार स्थापित होने पर उसमें लागत लगभग नगण्य हो जाती है।
- विश्व में कहीं भी युद्ध होने पर ऊर्जा आपूर्ति श्रंखला बाधित होती है। नवीकरणीय ऊर्जा से इस चुनौती से भी निपटा जा सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा के समक्ष चुनौतियाँ –
ग्रीन हाऊस गैसों में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी करीब तीन-चौथाई है। इसीलिए हमारे लिए निम्न चुनौतियों से पार पाना जरूरी हो जाता है –
- राजनीतिक दबाव, कीमतों को लेकर चिंता और कार्बन नियमनों को लेकर बढ़ते विरोध के कारण यूरोप जैसे विकसित देश भी इसे पूरी तरह नहीं अपना पा रहे हैं।
- विश्व में सबसे ज्यादा उत्सर्जन करने वाले देश अमेरिका और चीन अब भी जीवाश्म ईंधन का खूब प्रयोग कर रहे है। फिर भी स्वच्छ ऊर्जा की जिम्मेदारी केवल विकासशील देशों पर डाल दी जाती है, वह भी बिना कोई सहायता दिए।
- विकासशील देशों के समक्ष कार्बन फुटप्रिंट घटाने के साथ-साथ गरीबी, रोजगार तथा अवसंरचना जैसी अनेक चुनौतियाँ है। इन देशों में औद्योगीकरण, शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि एवं जीवन स्तर में सुधार से ऊर्जा की मांग बढेगी ही।
नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की उपलब्धियाँ –
- पेरिस समझौते के अंतर्गत नेशनल डिटरमाइंड कांट्रिब्यूशन की प्रतिबद्धता के लिए निर्धारित लक्ष्य को 5 साल पहले ही प्राप्त कर लिया है। इसके तहत बिजली क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 50.08% हो गई है। इसमें सौर, पवन, पनबिजली, जैव एवं परमाणु ऊर्जा शामिल हैं।
- पीएम कुसुम, पीएम सूर्यधर, सोलर पार्क तथा विंड कॉरिडोर जैसी योजनाओं ने स्वच्छ ऊर्जा में निवेश को प्रोत्साहित किया है। इसीलिए G-20 देशों में भारत न्यूनतम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वाले देशों में शामिल है।
आगे की राह –
हम एकाएक जीवाश्म ईंधनों से पीछा नहीं छुडा सकते। कोयला और गैस आज भी प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बने हुए है।
- 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लिए ग्रिड आधुनिकीकरण, ऊर्जा भंडारण, क्लीन टेक मैटीरियल, रिसाइकिंलग और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे आधुनिक ईंधनों में निवेश बढ़ाना होगा।
- अंतरराष्ट्रीय नीति में बदलाव के साथ-साथ विकासशील देशों को तकनीकि व वित्त उपलब्ध कराने होंगे।
चीन भी नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अच्छा कार्य कर रहा है लेकिन वह उत्सर्जन भी सबसे ज्यादा करता है। नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन बढेंगे, लेकिन ऊर्जा की जरूरत के कारण जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता भी बढ़ेगी। इसीलिए प्रत्येक देश के लिए अलग-अलग नीतियाँ कारगर होंगी।