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नशीले पदार्थों की बढ़ती समस्या
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देश में नशीले पदार्थों की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। अनेक शहरों के बड़े-बड़े पब और होटल इसकी आपूर्ति और सेवन के अड्डे बनते जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में इसका प्रसार हो चुका है, और यहाँ की शासन व्यवस्था इसे नियंत्रित करने में नाकाम होती जा रही है।
नशीले पदार्थों के प्रसार के पीछे प्रवासियों की बढ़ती संख्या हो सकती है। जांचकर्ताओं का यह भी मानना है कि इंटरनेट आधारित एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग मोबाइल एप्लीकेशन ने इसके फैलाव के लिए सुरक्षित संचार प्रदान किया है।
पिछले कुछ हफ्तों में एक हवाई अड्डे पर प्रवर्तन अधिकारियों ने लगभग 120 करोड़ मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किए थे। राजस्व निदेशालय और सीमा शुल्क अधिकारियों का मानना है कि अफ्रीकी देशों से तस्करी की गई इस खेप की आपूर्ति दिल्ली, जयपुर और उत्तर भारत के अन्य प्रमुख शहरों में की जानी थी।
समस्या के समाधान के रूप में मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ काम करने वाली सभी एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें सीमा शुल्क, प्रवर्तन निदेशालय, डी आर आई, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और इंटेलीजेन्स ब्यूरों जैसी केंद्रीय एजेंसियां शामिल हैं।
प्रवर्तन एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। इसके साथ ही सामाजिक संस्थाओं और युवा संगठनों को भी आगे आना चाहिए। नशीले पदार्थों के दुरूपयोग के बारे में लोगों को शिक्षित करके इस समस्या को नियंत्रित करने में भूमिका निभानी चाहिए। समग्र प्रयास से ही हम देश को खोखला होने से बचा सकते हैं।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित अभिनव देशपांडे के लेख पर आधारित। 27 मई, 2022