
मुद्रा योजना के दस वर्षों की उपलब्धि
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- छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की गई थी। इसमें कोलेटरेल या संपाश्र्विक मुक्त 10 लाख रुपये तक के आसान माइक्रोक्रेडिट की सुविधा दी गई है।
- इसका उद्देश्य विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में आय देने वाले छोटे व्यवसायों को आगे बढ़ाना है।
- योजना की शुरुआत में इच्छुक उद्यमियों को शिशु, किशोर और तरूण श्रेणी में ऋृण दिए गए थे। बाद में, तरूण प्लस श्रेणी को जोड़कर ऋृण सीमा को 20 लाख रुपये कर दिया गया।
- इस योजना को हाशिए पर रह रहे, और कमजोर वर्गों को लाभ हुआ। इसमें बड़ी संख्या में ऐसी ग्रामीण महिलाएं शामिल रही हैं, जिनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं थी।
- वर्तमान में राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड इस योजना के तहत क्रेडिट गारंटी फंड का प्रबंधन और संचालन करती है।
- योजना का अधिक लाभ लेने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म बनाए गए हैं।
- इस योजना ने दस वर्षों में 33.5 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से अधिक ऋृण आवेदन स्वीकृत किए हैं। इनमें से 20% लाभार्थी नए उद्यमी हैं। लगभग 50% मुद्रा ऋृण अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़े समुदायों के स्वीकृत किए गए है। 68% मुद्रा लाभांर्थी महिला उद्यमी हैं।
वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तिकरण और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में पीएम मुद्रा योजना सफल रही है। इससे देश में सूक्ष्म उद्यमों का विकास हुआ है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित एम. नागराजू के लेख पर आधारित। 8 अप्रैल, 2025