मारूआना या भांग के उपयोग को अपराधमुक्त करने के प्रति एक सोच
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भारत की संस्कृति में मारूआना या भांग के उपयोग की सदियों पुरानी परंपरा रही है। 1980 के दशक में भारत ने अमेरिकी दबाव में आकर सभी मादक पदार्थों पर प्रतिबंध लगा दिया था। हाल ही में थाईलैण्ड ने मारूआना के चिकित्सकीय और औद्योगिक उपयोग को अपराध की श्रेणी से मुक्त कर दिया है। ऐसा करने वाला वह पहला एशियाई राष्ट्र है।
थाईलैण्ड के इस कदम का मतलब यह है कि किसान इसकी खेती कर सकेंगे, और उद्यमी इसे विभिन्न रूपों में बेच सकेंगे। लेकिन इसके सार्वजनिक धूम्रपान और 0.2% से अधिक वाले साइकोएक्टिव घटक पर अभी भी प्रतिबंध लगा है। इसके बावजूद, इस उद्योग से 2026 तक थाईलैण्ड को 43.5 करोड़ डॉलर की कमाई होने का अनुमान है। कोविड के बाद आई मंदी से निकलने के लिए यह एक अवसर की तरह है।
भारत में अभी भी भांग के पौधे के कुछ हिस्सों के ही उपयोग की अनुमति है। भारत को इस दिशा में सोचना चाहिए कि क्या वह इसके कुछ प्रतिबंधों के साथ सार्वपनिक उपयोग की अनुमति दे सकता है। जिस अमेरिकी दबाव में भारत ने प्रतिबंध लगाया था, वह स्वयं रास्ता उलट चुका है। आज 19 अमेरिकी राज्य मारूआना के मनोरंजक उपयोग की अनुमति देते हैं।
भारत को इससे प्राप्त होने वाले वैध राजस्व की प्राप्ति के लिए इसे अपराध की श्रेणी से मुक्त करना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 जून, 2022