मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा

Afeias
26 May 2023
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मणिपुर राज्य एक बार फिर से दंगे की चपेट में आ गया है। ये दंगे यहाँ के स्थानीय आदिवासी समूहों के बीच भड़के हैं। इन समूहों के बीच तनाव का पुराना इतिहास रहा है।

इस समस्या पर कुछ बिंदु –

  • मणिपुर में नगा और कुकी समुदायों को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है।
  • राज्य की जनसंख्या में मैतेई समुदाय का लगभग 53% हिस्सा है। इनको उच्च न्यायालय ने जैसे ही जनजाति का दर्जा देने की बात कही, वैसे ही नगा और कुकी समूहों ने विरोध में हिंसा और तोड़फोड़ शुरू कर दी।
  • समस्या यह है कि जनजाति समुदायों को मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीदने का अधिकार है। मैतेई समूह भी अब पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीद सकेगा। नगा और कुकी समूहों के विरोध का कारण यही है। उनका कहना है कि मैतेई समुदाय काफी समृद्ध है। राज्य की लगभग 10% भूमि इनके पास है। ये लोग राजनीतिक शक्ति भी रखते हैं। मणिपुर के साठ विधायकों में से चालीस मैतेई समुदाय के हैं।
  • 1949 में मणिपुर के भारत में विलय से पहले मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा मिला ही हुआ था। उनका कहना है कि उनके पूर्वजों की जमीन, भाषा, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए यह जरूरी है।
  • यह झगड़ा जातिगत भले ही है, परंतु इसकी बुनियाद में आर्थिक-सामाजिक स्तर भी शामिल हैं। राज्य की पहाड़ी जनजातियों को स्पेशल कांस्टीट्यूशनल प्रिविलेज प्राप्त है। इसकी आड़ में ये गैर-कानूनी तौर पर अफीम की खेती करते हैं। इस पर राज्य सरकार सख्ती दिखाते हुए अभ्यारण्य की भूमि खाली करा रही है। इस पूरे प्रकरण में कुकी जनजाति ही सबसे अधिक हानि उठा रहा है, और इसलिए वह विद्रोही हो रहा है।

फिलहाल सरकार ने अनुच्छेद 355 लगाकर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी ले ली है। समस्या को सुलझाने के लिए सरकार को इसकी जड़ तक जाना होगा। दोनों पक्षों की भावनाओं और परंपराओं को समझना होगा। इसके बाद ही स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 8 मई, 2023