लद्दाख की जनता में असंतोष क्यों है?
To Download Click Here.
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करके जब से इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है, तभी से वहाँ की जनता कुछ बेहतर की आशा लगाए बैठी है। लेकिन लोकनीति सर्वेक्षण से पता चलता है कि जम्मू के 40% निवासी विशेष दर्जे को समाप्त करने का विरोध कर रहे हैं। लद्दाख की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। इस असंतोष पर कुछ बिंदु –
- लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश किए जाने पर स्थानीय निवासी खुश थे, क्योंकि जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग होकर उन्हें अपने बेहतर विकास के अवसर दिखाई दे रहे थे। अब पांच वर्ष बाद भी लद्दाख को राज्य का दर्जा नहीं मिला है।
- लद्दाख को पूर्वोत्तर राज्य के आदिवासी क्षेत्रों की तरह संविधान की छठी अनुसूची में दिए जाने वाले प्रांत के दर्जे से भी वंचित रखा गया है।
- वहाँ लेह और कारगिल जैसी दो स्वायत्त पर्वतीय परिषद् हैं। फिर भी स्थानीय शासन की कोई भूमिका नहीं है।
- आजीविका से जुड़ी स्थानीय चिंताएं, पानी की कमी, कचरा-प्रबंधन प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दे एवं चरवाहा समुदायों के लिए भूमि आदि प्रमुख विषयों पर केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
- विधायिका का अभाव ही वहाँ के निवासियों की चिंताओं का प्रमुख कारण है। वहाँ क्षेत्रीय स्वायत्तता की अत्यंत कमी है।
- जब किसी प्रांत के लिए स्थानीय लोगों की स्पष्ट सहमति या विचार-विमर्श के बिना निर्णय लिए जाते हैं, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। लद्दाख में ऐसा ही हो रहा है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 अक्टूबर, 2024
Related Articles
×