
क्या कहते है अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता
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व्यापक बिंदु यह है कि पूंजीवाद और लोकतंत्र का एक जटिल संबंध है, जिसे बनाए रखने की आवश्यकता है। चीन में देंग के आर्थिक सुधारों के बाद भले ही अर्थव्यवस्था में उछाल आया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह विकसित अर्थव्यवस्थाओं के सामूहिक समृद्धि स्तर को छू सकता है ?
जिन देशों की संस्थाएं अपने नागरिकों की सेवा में तत्पर रहती हैं, उन्हें भी कानून के शासन को कमजोर करने वाले नेताओं से बचने की ज़रुरत लगती है।
जहाँ संस्थाओं की मजबूती होती है, वहाँ मतदाताओं, उपभोक्ताओं, उत्पादकों और निवेशकों की सुरक्षा स्वयं ही सुदृढ़ होती है। समस्या तब शुरु होती है, जब समाज के एक हिस्से के लिए इस सुरक्षा को कम करने के प्रयास किए जाते हैं। इसका परिणाम असमानता में वृद्धि होता है।
कुल मिलाकर, इस बार के नोबेल पुरस्कार में आय और धन के समान वितरण को प्रमुख चिंतनीय विषय माना गया है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 16 अक्तूबर, 2024