कोयले के उपयोग को जारी रखने के पक्ष में

Afeias
28 Jan 2024
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1]    भारत जैसे विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि के लिए कोयला काफी कम लागत वाला व्यावहारिक ईंधन है, जिसका उपयोग बंद कर देना वित्तीय दृष्टि से व्यवहार्य नहीं है।

2]    कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का असर न केवल विकासशील देशों पर पड़ेगा, बल्कि यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं एवं नवीकरणीय ऊर्जा को भी प्रभावित करेगा।

उदाहरण – रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुई गैस की कमी और उससे उत्पन्न स्थिति को यूरोपीय संघ नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से आसानी से नही संभाल सका। पश्चिमी देश अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कोयले पर निर्भर हो गए और पूरे विश्व में कोयलें की मांग में वृद्धि हो गई थी।

3]    सौर एवं पवन ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों में तेज वृद्धि के बावजूद लंबे समय तक ऊर्जा भंडारण संतुष्टिप्रद समाधान तक नहीं पहुँच पाया है।

  • इनके भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं है। सूरज न निकलने पर रात में ऊर्जा की कमी की समस्या बनी रहती है।
  • यही समस्या पवन ऊर्जा संयंत्रों के साथ भी हैए जो ऊर्जा उत्पादन के लिए हवा की गति पर निर्भर है।

4]    हालांकि लंबे समय तक ऊर्जा भंडारण के विकल्प हैं, किन्तु वे बहुत महंगे हैं। साथ ही आवश्यकता के हिसाब से न तो उपयुक्त हैं, न ही बड़े स्तर पर भंडारण की दृष्टि से व्यावहारिक हैं।

5]    हरित-हाइड्रोजन भी एक अच्छा विकल्प है। किन्तु इसके भंडारण और परिवहन के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने में बहुत समय लगता है।

6]    ऊर्जा की आवश्यकता, विशेषकर विकासशील एवं अविकसित देशों में अधिकांशतः कोयले से ही पूरी हो रही है। यदि कोयले का उपयोग रोक दिया जाए, तो कई विकसित देशों में सोलर पैनल और ईवी बैटरी की कीमतें बहुत अधिक बढ़ जाएंगी।

इसलिए, वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने वाले “भारत” ने कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के संकल्प पर हस्ताक्षर नहीं किए।

हालांकि,

  • जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा कारक और सबसे गंदा ईंधन कोयला ही है। खुदाई से लेकर ऊर्जा उत्पादन के स्तर तक इसमें कुछ भी पर्यावरणीय-अनुकूलता नही हैं। जब तक इसका इस्तेमाल रोकने के लिए व्यावहारिक विकल्प और पर्याप्त धन की व्यवस्था नही हो जाती, तब तक कोयले को बुराई के रूप में ही देखा जाना चाहिए।

अस्थायी समाधान –

  • कार्बन कॅप्चर।
  • उत्सर्जन कम से कम किया जाए।
  • प्राकृतिक एवं कृत्रिमए दोनों तरह से कार्बन सिंक में वृद्धि।

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