खुदरा निवेशकों को बचाने के सेबी के प्रयास
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हाल ही के सेबी के प्रयासों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि छोटी और मध्यम दर्जे की कंपनियों के शेयरों का मूल्यांकन आय क्षमता से अलग हो गया है। यह एक प्रकार का बबल बना रहा है, और सेबी को इसका पूरा अनुमान है।
- हाल ही में सेबी ने म्यूचअल फंड हाउसों से कहकर मिड और स्मॉलकैप में खुदरा निवेश में बेतहाशा वृद्धि को कम करने की कोशिश की है। यह हस्तक्षेप इसलिए आवश्यक हो गया हैं, क्योंकि स्मॉलकैप फंड, लार्जकैप फंड में आने वाले धन का लगभग 15 गुना हिस्सा खींच रहे हैं।
- पिछले छः महीनों में निफ्टी स्मॉलकैप सूचकांक 33% बढ़ा है, जबकि निफ्टी 50 ने 14% बढ़ोत्तरी ली है।
- स्मॉलकैप शेयरों की कीमतों में हेरफेर की संभावना अधिक होती है। यह अस्थिरता को बढ़ा सकता है। छोटी कंपनियों द्वारा लिस्टिंग में उछाल आया है। सेबी को चिंता है कि खुदरा निवेशक इस बाजार खंड में निवेश के जोखिमों को ठीक से समझ नहीं सकते।
- छोटी कंपनियों द्वारा लिस्टिंग में बढ़ोत्तरी को जरूरतमंद क्षेत्रों में पूंजी के स्वस्थ डायवर्जन का प्रतीक माना जा सकता है। लेकिन अगर जीडीपी में मजबूत वृद्धि नहीं हुई (जितनी निवेशक अनुमान लगा रहे हैं), तो जोखिम भी है।
अपने स्तर पर सेबी विनियामक और म्यूचुअल फंड में निवेश की चेतावनियां दे रहा है। यह निवेशकों को लार्जकैप की ओर मोड़ने का प्रयास है। लेकिन यह खुदरा निवेशकों को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 मार्च, 2024