केरल की सहकारी समितियों पर संकट
To Download Click Here.

हाल ही में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता नीति, 2025 जारी की है। इस पर केरल सरकार की तीखी प्रतिक्रिया आई है। इसका कारण यह है कि 1969 में केरल सहकारी समिति अधिनियम के लागू होने के साथ ही सहकारी समितियां जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रभावी होने लगीं।
केरल सरकार का दृष्टिकोण –
- प्राथमिक सहकारी समितियाँ केरल की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख ऋण सहायता प्रणाली के रूप में कार्य करती हैं।
- हाल ही में एक सम्मेलन में केरल प्राथमिक कृषि सहकारी समिति संघ ने केंद्र की नीति को संघवाद की अवधारणा के लिए चुनौती बताया है।
- सहकारी कर्मचारी संघ ने इसे इस क्षेत्र पर केंद्र का नियंत्रण पाने का प्रयास और कॉर्पोरेट्स को सौंपने का एक ‘असंवैधानिक कदम’ करार दिया है।
- केसीईयू ने आरोप लगाया है कि केंद्र की नजर सहकारी संस्थानों में जमा 12.94 लाख करोड़ रुपये पर है।
केंद्र का दृष्टिकोण –
- संयोग से केंद्र का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब केरल के कई सहकारी बैंक और समितियां गबन और जमाकर्ताओं का पैसा वापस न करने के आरोपों को लेकर गंभीर संकट में हैं।
हालांकि, इस क्षेत्र की विश्वसनीयता को खतरे में देखते हुए, राज्य सरकार ने 2023 में सहकारी समिति अधिनियम में व्यापक बदलाव किया, और स्वामियों को दूर करने और जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए सुरक्षा उपाय पेश किए हैं। बदलते परिदृश्य के अनुसार वे कैसे विकसित होती और ढलती हैं, इसका केरल की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित टिकीं रजवी के लेख पर आधारित। 27 अगस्त 2025