कौशल विकास को पुर्नजीवन देने का समय है
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यह सही समय है कि कौशल और शिक्षा को बाजार आधारित प्रोत्साहन ढांचे के साथ जोड़ा जाए। अन्य बहुत से देश ऐसे हैं, जिन्होंने अपने कौशल पारिस्थिति तंत्र में उद्योग की हिस्सेदारी बनाने के लिए एक मॉडल दिया है।
कुछ बिंदु –
- नियामक (रेग्यूलेटरी) टूल में लेवी छूट के प्रोत्साहन का उपयोग करके उद्योगों को सह-निवेशक के रूप में शामिल करने का काम सिंगापुर ने किया है। दक्षिण कोरिया भी उन एसएमई को लेवी-छूट देता है, जो मजदूरी के 0.25% से 0.8% के बीच लेवी का भुगतान करती हैं। ब्रिटेन ने विभिन्न क्षेत्रों में 400 से ज्यादा रिस्किलिंग पाठ्यक्रमों की सूची तैयार की है। कई प्लेटफार्म निःशुल्क पाठ्यक्रम उपलब्ध कराते हैं।
- आस्ट्रेलिया ने कर्मचारियों की रिस्किलिंग के लिए फ्रिंज बेनेफिट टैक्स छूट की शुरूआत की है। वास्तव में यह ‘खतरे में नौकरी’ वाले कर्मचारियों के लिए रिस्किलिंग निवेश में काम आता है।
- सिंगापुर ने और भी उपाय कर रखे हैं। बाजार की जरूरतों के अनुसार कार्यबल तैयार करने के लिए सिंगापुर कस्टमाइज्ड डेटा आधारित मूल्यवर्धित सेवाएं भी प्रदान करता है। इसके लिए सर्वेक्षण, श्रम-प्रवृत्ति पूर्वानुमान विश्लेषण और विशेषज्ञ इनपुट का पूरा ब्यौरा रखा जाता है।
- दक्षिण कोरिया में भी स्थानीय उद्योगों की मांग के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रावधान रखा जाता है।
क्या भारत के सीएसआर और श्रम उपकर (लेबर सेस) या अन्य प्रावधानों को कौशल विकास के अधिक करीब लाया जा सकता है?
- निवेश के मामले में, भारत पीएलआई और इनबाउंड विदेशी निवेश जैसी योजनाओं में कौशल के एक तत्व को शामिल कर सकता है।
- इस प्रकार के कौशल निवेशों में बाजार संरेखण (एलाइनमेंट) की गारंटी होगी। यहां बदलते रुझानों को समझने और लागू करने में कुछ समय लग सकता है।
कुल मिलाकर, सरकार को कौशल और रोजगार के बारे में समग्र दृष्टिकोण अपनाना है, और सभी हितधारकों के लिए कौशल में हिस्सेदारी बनाने के उपाय करना है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित अतुल तिवारी के लेख पर आधारित। 17 जून, 2024
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