ऑटोमेशन के जरिए कौशल विकास हो

Afeias
15 Oct 2020
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Date:15-10-20

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बदलते वैश्विक परिदृश्य के बदलते रोजगार के अवसरों के प्रति सचेत और जागरूक रहने की आवश्यकता है। भारतीय संदर्भ में तकनीकि विकास की गति के साथ , रोजगार के अवसरों से ज्यादा इससे बेरोजगार होने वालों की ओर ध्यान देना जरूरी है। कंम्प्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी आधुनिकतम तकनीकें पूर्वानुमानित तकनीक (प्रेडिक्शन तकनीक) पर आधारित हैं।

यहाँ इस तथ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि सांख्यिकीय पूर्वानुमान शत-प्रतिशत सही नहीं हो सकते। मशीन तो केवल पूर्वानुमान लगाती हैं। परंतु इसके बाद का निर्णय इंसानों को ही लेना पड़ता है। यह निर्णय मशीनी पूर्वानुमान पर ही आधारित होता है। ए आई ने पूर्वानुमान को तेज और सटीक करके लागत में कमी की है। पूर्वानुमान और निर्णय , दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। पूर्वानुमान की लागत में कमी ने निर्णय को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है।

  • इस प्रकार , ए आई से एक ओर जहाँ रोजगार में कमी आई है , वहीं ऐसे अवसरों में वृद्धि हुई है , जो पूर्वानुमान पर आधारित निर्णय कर सके। ए आई तो केवल एल्गोरिदम को तेज और सटीक बनाने में मदद कर सकता है। वित्तीय क्षेत्र में इसका महत्व हो सकता है , और इससे रोजगार भी कम हो सकते हैं। परंतु स्वास्थ सेवा जैसा पेचीदे क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है , और आगे भी नहीं होगी।
  • स्वास्थ के साथ-साथ शिक्षा व नियमन निकायों का क्षेत्र ऐसा है , जहां ऑटोमेशन को बढ़ावा देकर काम की गति को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इस पर आधारित निर्णयात्मक क्षमता से भरपूर कुशल कर्मचारियों को तैयार करना होगा।

अगर हम वर्तमान कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम पर निर्भर रहते हुए काम करते हैं , तो कर्मचारियों की कमी वाले क्षेत्रों में पूर्ति करने में कई वर्ष लग जाएंगे। दूसरी ओर , लोग बेरोजगार होते जाएंगे। अतः हमें ऑटोमेशन की दिशा में आगे बढ़ते हुए लोगों को निर्णयात्मक क्षमता वाले रोजगार की ओर मोड़ने हेतु नीतियां बनाने की आवश्यकता है। उम्मीद की जा सकती है कि वैश्विक परिदृश्य से प्रेरित होकर सरकार इस ओर कदम बढ़ाएगी।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित निशांत चड्ढा और सुभाशीष गंगोपाध्याय के लेख पर आधारित। 26 सितंबर, 2020

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