कौशल की कमी को दूर करना
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परिचय– लार्सेन एंड टुब्रो के चेयरमैन ने कहा है कि उनको 45000 श्रमिकों की आवश्यकता है। भारत में साधारण से कामों के लिए भी; जैसे – वेल्डर, वाहन चालक, कारपेंटर तथा प्लंबर जैसे कामों के लिए भी श्रमिकों की कमी दिखाई देती है।
कारण –
- इस कमी का प्रमुख कारण शिक्षा और प्रशिक्षण की खराब गुणवत्ता है।
- इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के अनुसार केवल 64% इंजीनियर ग्रेजुएट ही रोजगार पाने योग्य हैं।
- सिर्फ 2% श्रमिकों के पास व्यवसायिक प्रशिक्षण है। केवल 9% के पास अनौपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण है।
- भारत में हर साल 15 लाख इंजीनियर बनते हैं, लेकिन 5% से भी कम राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से आते हैं। अधिकांशतः कम गुणवत्ता वाले सरकारी संस्थानों से आते हैं। इनमें कौशल का अभाव होता हैं।
- सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम में कमी का होना इसका एक बड़ा कारण हैं।
परिणाम –
- प्रशिक्षण की कमी के कारण कंपनियों को अलग से प्रशिक्षण देना पड़ता है, जिससे उत्पादों की लागत बढ़ती है।
- साधारण कामों के लिए भी श्रमिकों को तलाशता पड़ता है।
- विदेशों से तकनीशियनों तथा इंजीनियरों को बुलाना पड़ता है। इससे उत्पादों की लागत में वृद्धि हो जाती है।
- गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षकों और प्रमाणन की भी कमी है। इसके कारण 20% से कम लोगों को कंपनियों में रोजगार मिल पाता है।
आगे की राह –
- उद्योग जगत के साथ करीबी भागीदारी करने की आवश्यकता है,ताकि प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।
- देश के श्रमिकों को उचित कौशल प्रदान किया जाना चाहिए।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना तथा अप्रेंटिस प्रोग्राम की गुणवत्ता सुधारी जानी चाहिए।
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