कचरा-प्रबंधन के साथ-साथ संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी है
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हाल ही में पर्यावरण मंत्री ने उद्योग जगत से आहृान किया है कि वे रिसाइक्लिंग पर विचार करें। भारत में कचरा-प्रबंधन से जुड़े कुछ तथ्य –
- भारत में लगभग 11,000 अरब टन कचरा इकट्ठा है।
- भारत लगातार हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, और उसका लक्ष्य 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन पर आना है।
- भारत की भौतिक संसाधन-खपत 1970 में जहाँ 1.8 अरब टन थी, 2015 में बढ़कर 7 अरब टन हो गई है। 2030 में इसके 14 अरब टन हो जाने का अनुमान है।
- भारत को ऐसी अर्थव्यवस्थाव्यापी संसाधन दक्षता की ओर बढ़ना चाहिए, जो कम में अधिक उत्पादित कर सके। वह ऐसी भी हो, जिसका रियूज और रिसाइकिल हो सके। उसका वित्तीय एवं पर्यावरणीय प्रभाव सकारात्मक हो।
वह रोजगार के नए अवसरों का सृजन कर सके। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी सिद्ध हो।
- सन् 2019 में नेशनल रिसोर्स एफिशियंसी पॉलिसी (एनआरईपी) का मसौदा तैयार किया गया था, जो जनता के सुझावों के लिए प्रस्तावित है। अब इसे अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।
- एक ऐसी व्यापक नीति की आवश्यकता है, जो क्रॉस-सेक्टोरल सहयोग और प्रणालीगत दक्षता को संभव बना सके।
- एक ऐसी राष्ट्रीय नीति तैयार की जानी चाहिए, जो प्राथमिक संसाधनों के उपभोग को धारणीयता के स्तर पर रखे। यह नीति ऐसी हो, जो अर्थव्यवस्था का विकास और पर्यावरण की रक्षा कर सके।
वेस्ट को वैल्थ में बदलना अच्छा और जरूरी है। लेकिन इससे भी जरूरी संसाधनों और धन को बर्बादी से रोकना है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 फरवरी, 2023
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