जल संकट का समाधान क्या हो?
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कुछ बिंदु –
जल संकट से निपटने के सिलसिले में नीति आयोग ने 2018 में एक समग्र जल प्रबंधन सूचकांक की शुरूआत की थी, जिसमें देश के राज्यों में जल प्रबंधन के स्तर पर रुझानों को बताया गया था। राज्यों के प्रदर्शन में बहुत विषमता देखी गई थी।
- जल-प्रबंधन मुख्यतः राज्यों का दायित्व है। लेकिन यह जिस प्रकार का विकराल रूप ले रहा है, उससे निपटने के लिए राज्यों के साथ ही केंद्र और स्थानीय समुदायों, निजी क्षेत्र और व्यक्तिगत प्रयासों को मिलाकर एकीकृत रणनीति बनाना आवश्यक है।
अतः भारत के विविधतापूर्ण भौगोलिक, जलवायविक एवं सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य के अनुसार रणनीति बनाई जानी चाहिए।
- पानी का आवंटन तार्किक रूप से किया जाना चाहिए। इस दिशा में आस्ट्रेलिया का उदाहरण लिया जा सकता है। वहाँ तात्कालिक डेटा और मानसून के रूझान के हिसाब से पानी का आवंटन होता है।
- ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से जल-अधिकारों और उसके व्यापार को लेकर राष्ट्रव्यापी ढांचा बनाया जा सकता है। यह तकनीक राज्यों के बीच नदियों के जल से जुड़े विवादों का निपटारा भी कर सकेगी।
- सबसे जरूरी है कि पानी के उपयोग पर मासिक शुल्क लगाया जाए। कम कीमत वाले संसाधन का अत्यधिक उपभोग किया जाता है। जन-धन, आधार व मोबाइल ने वह बुनियादी ढांचा मुहैया करा दिया है, जिससे पानी की उचित कीमत वसूली जा सकती है। गरीब परिवारों को पानी का वाउचर दिया जा सकता है।
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स के माध्यम से सेंसर लगाकर पानी की गुणवत्ता वितरण में अक्षमता और रिसाव आदि की जानकारी जुटाकर इन्हें ठीक किया जा सकता है। बेंगलुरू में रिसाव पर नियंत्रण रखकर बहुत सारा पानी बचाया जा सकता था।
- जलकुंडों को समय पर रिचार्ज किया जाना चाहिए।
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमताओं को बेहतर बनाना होगा।
- स्थानीय निकायों को अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
आकंड़ो के अनुसार, तो 78% शहरी निकाय पानी से संबंधित प्रशासन पर विफल पाए गए हैं। इनमें सुधार के लिए निकायों को जल प्रबंधन से जुड़े अपने डेटा और सूचना तक पहुँच को प्राथमिकता पर रखना होगा।
राज्यों को अपने प्रयास बेहतर करने होंगे। ‘जल शक्ति अभियान’ और ‘जल जीवन मिशन’ जैसी पहल के माध्यम से केंद्र सरकार इस मोर्चे पर अपनी प्रतिबद्धता दिखा रही है। इसके साथ ही अमृत 2.0, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और अटल भूजल योजना जैसे कार्यक्रम उस बहुस्तरीय रणनीति को दर्शाते हैं, जो बढ़ती मांग और जलवायु अनिश्चितताओं के बीच निरंतर जल आपूर्ति और सक्षम प्रबंधन को सुनिश्चित करते हैं।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 9 अप्रैल, 2024