जल जीवन मिशन की उपलब्धियों से संबंधित कुछ बिंदु
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- मिशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने 2019 में किया था।
- इस मिशन से 73% ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध करा दिया गया है। इसका अर्थ है कि 2019 में जहाँ 3.23 करोड़ नल कनेक्शन थे, वहीं अब ये 14 करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं।
- इसके माध्यम से भारत धारणीय विकास लक्ष्य 6 (सभी के लिए स्वच्छता और स्वच्छ जल) की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
- उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बुनियादी ढांचा खड़ा किया गया है। भारत की भौगोलिक स्थिति की भिन्नता के चलते यह चुनौतीपूर्ण था। इस हेतु समुदायों, एनजीओ और विकास भागीदारों का साथ लिया गया है।
- पहाड़ी और ठंड़े क्षेत्रों में इंसुलेटेड पाइप का उपयोग किया गया है। जिन गांवों में जल की गुणवत्ता की समस्या थी, वहाँ बड़े पैमाने पर जल अंतरण (ट्रांसफर) की योजना बनाई गई है। सामुदायिक जल शोधन संयंत्र लगाए गए हैं।
मिशन के प्रभाव –
- इस मिशन से ग्रामीण स्वास्थ्य और पर्यावरण में व्यापक परिवर्तन देखा गया है।
- नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने अध्ययन में कहा है कि सुरक्षित जल से शिशु मृत्यु दर में 30% की कमी आ सकती है। भारत भी इस उपाय से लगभग 25% बच्चों (पांच वर्ष से कम) की मृत्यु को रोक सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की वित्त वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट में कहा गया है कि शुद्ध जल से लगभग 4 लाख लोगों को डायरिया से होने वाली मृत्यु से बचाया जा सकता है।
- जल जीवन मिशन से 28.37 लाख करोड़ रु. तक की आर्थिक बचत की जा सकती है।
- इस मिशन के माध्यम से ‘नल जल मित्र’ नामक एक पहल की गई है, जो ग्रामीणों को उनके गांव में पाइप से पानी पहुंचाने के कार्यक्रम में मरम्मत और रखरखाव के लिए प्रशिक्षित करती है।
- इसके अलावा 5.29 लाख से अधिक गांवों में पानी समितियां बनाई गई हैं।
- 17 लाख गांवों में कार्य योजनाएं विकसित की गई हैं।
- लगभग 22.98 लाख महिलाओं को पानी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
मिशन की रोजगार क्षमता के आकलन में कहा गया है कि इसके द्वारा औसतन 59.93 लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष और 2.22 करोड़ व्यक्ति प्रतिवर्ष अप्रत्यक्ष रोजगार दिया गया है। संचालन और रखरखाव चरण के दौरान 11.18 लाख अतिरिक्त व्यक्ति प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष रोजगार दिया गया है।
जल जीवन मिशन के मूल में ग्रामीण सामाजिक आर्थिक ताने-बाने की मजबूती के माध्यम से सफलता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता निहित है। यह अपने उद्देश्य की प्राप्ति की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित गजेंद्र सिंह शेखावत के लेख पर आधारित। 25 जनवरी, 2024
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