जाति गणना का क्या औचित्य?

Afeias
09 Jun 2025
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अगली जनगणना में जाति गणना किए जाने पर सभी दलों का दबाव था।

क्या लाभ क्या हानि –

  • जाति भारत की राजनीति के केंद्र में है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जाति की गणना करने से आकार, साक्षरता, आर्थिक स्तर एवं व्यावसायिक संरचना की सटीक जानकारी मिल सकती है। अगर किसी जाति को बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे से वंचित किया जाता है, तो यह तुरंत दिखाई देगा।
  • सवाल यह है कि इस सारी जानकारी का क्या किया जाएगा? यदि पहले के उदाहरण देखें, तो बिहार की नीतिश सरकार ने 2023 में ऐसी गणना कराई थी। डेटा जारी होने के दो वर्षों में सरकार ने सर्वेक्षण का उपयोग कैसे किया? इसके अलावा, कर्नाटक में जाति-आकार के डेटा को ही गलत बताया जा रहा है। अगर परिणाम सत्ता की राजनीति तक ही सीमित हैं, तो जाति गणना का कोई अर्थ नहीं है।
  • सच तो यह है कि सरकारों के पास सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को पूरी तरह से सुधारने की सीमित क्षमता है। जाति के आंकड़ों का उपयोग अधिक आरक्षण के लिए आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए किए जाने की आशंका है। जबकि लोगों को पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए न्याय, कानून और व्यवस्था, स्वास्थ्य और गतिशीलता के साधन जरूरी हैं। इन सबके लिए जाति गणना की जरूरत नहीं है।

नीति निर्माण के लिए जाति गणना से कहीं अधिक महत्वपूर्ण संख्याओं को गंभीरता से अपडेट करने की आवश्यकता है। फिर भी अगर जाति सर्वेक्षण किया ही जाना है, तो इसका उपयोग आर्थिक हितों के लिए किया जाना चाहिए, राजनीति के लिए नहीं।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 01 मई, 2025