आईआईटी पर ध्यान देने की जरूरत

Afeias
16 May 2023
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हाल ही में देश के आईआईटी जैसे उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के समाचार आए हैं। इतना ही नहीं, इन संस्थानों में ड्रॉपआउट दर के अधिक होने, भेदभाव और उत्पीड़न के भी मामले हैं। यही वजह है कि आईआईटी के बारे में निर्णय लेने वाली केंद्रीय संस्था, आईआईटी परिषद् ने इन मामलों पर ध्यान देने का निर्णय लिया है।

कुछ बिंदु –

  • आईआईटी के विद्यार्थियों पर प्रदर्शन का बहुत दबाव रहता है। प्रतिस्पर्धा, ट्यूशन फीस के अलावा अन्य खर्चों के लिए ऋण के भार से, छात्रों पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
  • विदेशों में उच्च वेतन वाली अच्छी नौकरी लेने के लिए लगातार होड़ चलती रहती है।
  • यद्यपि छात्रवृत्ति और फेलोशिप बढ़ी है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं होती है।
  • ड्रॉपआउट दर आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों में ज्यादा है। 2021 में देखा गया कि पिछले पाँच वर्षों में शीर्ष सात आईआईटी के स्नातक ड्रॉपआउट में 63% आरक्षित वर्ग के थे। इसका सीधा सा अर्थ है कि स्कूली शिक्षा की कमजोरी, इन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए तैयार नहीं कर पाती है।

अच्छा हो कि इन विद्यार्थियों को ड्रॉप आउट के बाद वापस आने का अवसर दिया जाए। इनकी पर्याप्त सहायता की जाए, और स्कूली शिक्षा के स्तर को इतना मजबूत बनाया जाए कि वह छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए तैयार कर सकें।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 अप्रैल, 2023