हिंद-प्रशांत में नए फ्रेमवर्क का उदय
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हाल ही में हुए क्वाड शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर टोक्यों में इंडो-पैसिफिक इकॉनॉमिक फ्रेमवर्क का शुभारंभ किया गया है। इस फ्रेमवर्क में क्वाड के तीन देशों सहित 10 आसियान देश हैं। दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैण्ड भी शामिल होंगे। स्वच्छ ऊर्जा, आपूर्ति श्रृंखला का लचीलापन, कर और भ्रष्टाचार तथा निष्पक्ष व लचीला व्यापार, इसके चार मुख्य स्तंभ हैं।
कुछ बिंदु –
- यह फ्रेमवर्क आर्थिक विकास के लिए एक खुली, नियम-आधारित साझेदारी को व्यवस्थित रूप से स्थापित करने का एक प्रयास है, जो भू-राजनीतिक सुनिश्चितता के लिए पूर्व अपेक्षित रही है।
- इसकी अनुशंसा व परिकल्पना अमेरिका ने की है। क्षेत्र में चीन के वाणिज्यिक दबदबे के लिए यह एक विकल्प प्रदान करता है।
- भारत के लिए यह फ्रेमवर्क अपनी क्षमताओं का निर्माण करने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी भूमिका को मजबूत करने और अपने क्षेत्र में समृद्धि लाने का एक अवसर देता है।
- इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना है। यह नवाचार स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आर्थिक परिवर्तन को बढ़ावा देगा।
- इसका उद्देश्य क्षेत्र की आर्थिक चुनौतियों का साझा रचनात्मक समाधान खोजना है।
कुछ चुनौतियां –
- अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि यह टैरिफ रेशनलाइजेशन या कराधान युक्तिकरण और कटौती पर केंद्रित एक पारंपरिक मुक्त व्यापार सौदा नहीं है। इससे इसकी सार्थकता पर प्रश्न उठ सकते हैं।
- 13 देशों की भिन्न आर्थिक व्यवस्थाओं के बीच सामंजस्य व भागीदारी के समान हितों को बनाए रखना मुश्किल होगा।
- कराधान जैसा मामला संप्रभुता से जुड़ा होता है। इसे बातचीत के अधीन नहीं किया जा सकता है।
- हालांकि, आईपीईएफ की व्यवस्था अभी अधूरी है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास, पारदर्शिता और समयबद्धता जैसे तीन सिद्धांतों को इसके भविष्य का आधार बताया है। चीन को चुनौती देना, समूह के लिए एक बड़ी सफलता हो सकती है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 मई 2022
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