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हेमा समिति की रिपोर्ट से फिल्म उद्योग में सुधार की उम्मीद
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कुछ बिंदु –
- महिलाओं के साथ भेदभाव, शोषण और यौन उत्पीड़न।
- फिल्मों में भूमिका के बदले यौन सहभागिता की मांग की जाती है।
- महिलाओं के लिए प्रसाधन कमरे, सुरक्षित परिवहन और शूटिंग स्थल पर आवास जैसी आवश्यक सुविधाओं की कमी रहती है।
- पारिश्रमिक में भेदभाव किया जाता है।
- महिला अभिनेता, तकनीशियन, मेकअप आर्टिस्ट, डांसर तथा सपोर्ट स्टाफ आदि के साथ स्पष्ट एवं पक्के संविदा कांट्रेक्ट नहीं किए जाते हैं।
इन मुद्दों पर सरकार ने एक विशेष जाँच दल गठित करने का निर्णय लिया है। जब तक सरकार पुरूषों और महिलाओं के लिए समान कार्य वातावरण बनाने में सफल नहीं होती, तब तक कुछ नहीं बदलेगा। उठाए गए प्रत्येक मुद्दे का संज्ञान लिया जाना चाहिए, और उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 26 अगस्त, 2024
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