हाथियों की घटती आबादी
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भारत में एशियाई हाथियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। यह चिंता का विषय है, क्योंकि हमारी परंपरा में यह केवल पशु नहीं है, बल्कि लक्ष्मी, गणेश और बुद्ध के साथ जोड़कर पूजा जाता है। मौर्यकाल में तो हाथी के वध पर मृत्युदंड़ दिया जाता था। हमारी वह समृद्ध विरासत कहां और क्यों गायब हो रही है –
- पूरी दुनिया में पिछले 100 वर्षों में इंसानों की संख्या चार गुना बढ़ गई है, जबकि अफ्रीकी हाथियों की संख्या 90% और एशियाई हाथियों की संख्या 70% कम हो गई है।
- 2021-25 के बीच भारत में हाथियों की आबादी लगभग 22,446 पाई गई है। यह 2007 के अनुमान से 19% कम है। यह डेटा डीएनए बेस्ड मार्क-रिकैप्चर तकनीक से लिया गया है। यह भविष्य की मॉनिटरिंग के लिए ज्यादा भरोसेमंद बेसलाइन देता है।
- रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत आज पूरे देश में हाथियों का अपमान कर रहा है, और उन्हें चोट पहुँचा रहा है।
- हाथी सैंक्चुअरी या अभ्यारण्य के नाम पर हाथियों का शोषण किया जा रहा है।
- वेस्टर्न घाट में कभी एक साथ रहने वाली हाथियों की आबादी बदलते लैंड यूज और तेजी से बढ़ते डेवलपमेंट प्रोजेक्टस जैसे कारणों से तेजी से अलग होती जा रही है। पूर्वोत्तर भारत का भी यही हाल है। जबकि हाथी जैसे समझदार जानवर को झुंड में रहने की आदत होती है।
हाथी के निवास के लिए अनुकूल स्थितियों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। तभी इनकी आबादी सुरक्षित रह सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 16 अक्टूबर 2025