हमारे खाद्य उत्पादों का सुरक्षित न होना चिंता का विषय है
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हमारे देश में खाद्य पदार्थों का सुरक्षित स्तर का होना सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। हांगकांग और सिंगापुर के खाद्य विनियामकों की हाल की रिपोर्ट में दो लोकप्रिय भारतीय ब्रांड के मसालों में एथिलीन ऑक्साइड के ज्यादा होने का आरोप लगाया जा चुका है। इससे पहले नेस्ले कंपनी पर भारत में शिशु आहार में चीनी मिलाने का विवाद हो चुका है।
इससे जुड़े कुछ बिंदु –
- भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) इन विवादों पर लगातार काम कर रहा है।
- लेकिन हमारे खाद्य पदार्थों पर लगातार लगने वाले ऐसे आरोप चिंताजनक हैं। ये चिंता पैदा करते हैं कि आखिर हम भोजन में कैंसर जैसी बीमारियां पैदा करने वाले कितने हानिकारक पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।
- देश की खाद्य प्रणाली के रक्षक रूप में सही क्षमता वाली और मजबूत नियामक प्रणाली की जरूरत है। फिलहाल एफएसएसआई के पास 200 से अधिक खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है। लेकिन खाद्य पदार्थ वर्गों की व्यापकता को देखते हुए और अधिक की आवश्कयता है।
- अतः इन चिंताओं के समाधान के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाना, राज्य खाद्य प्रयोगशालाओं का संचालन सुनिश्चित करना, प्रशिक्षित जनशक्ति को बढ़ाना और मानदंड़ों के प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने पर प्राथमिकता होनी चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 01 मई, 2024
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