गिग वर्कर्स विधेयक की कमियां

Afeias
11 Oct 2023
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राजस्थान सरकार ने गिग वर्कर्स या अस्थायी कर्मकारों के लिए एक नई पहल की है। सरकार ने राजस्थान प्लेटफार्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 प्रस्तुत किया है। यह गिग कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा निश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया है। अच्छे इरादे और उल्लेखनीय विशेषताओं के बावजूद कई पहलुओं पर विधेयक कमजोर दिखाई देता है। इसके जुड़े कुछ बिंदु –

  • पहला मुद्दा गिग वर्कर और एग्रीगेटर (मध्यस्थ कंपनी) की परिभाषा का स्पष्ट न होना है। यह विधेयक सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 से कुछ मुख्य बिंदु लेता है, जिसमें गिग वर्कर और एग्रीगेटर की परिभाषा स्पष्ट नहीं है। मुख्य रूप से एग्रीगेटर को मध्यस्थ के रूप में ही बताया गया है, नियोक्ता के रूप में नहीं। इसमें गिग वर्कर को भी कर्मचारी न बताकर स्व-रोजगार प्राप्त कर्मी ही माना गया है। अमेरिका और यू.के. में इस प्रकार के कर्मियों, जिनके काम के प्रदर्शन और काम के घंटे का निर्णय कंपनी के अधीन है, को कर्मचारी और नियोक्ता संबंध में माना जाने लगा है।
  • गिग कर्मियों को कर्मचारी के रूप में परिभाषित न करके, विधेयक मौजूदा श्रम कानूनों को इसके दायरे में एकीकृत नहीं कर पाता है। इससे नियोक्ताओं को श्रम कानूनों के अंदर नहीं लिया जा सकेगा, और वे कर्मचारियों को कार्यस्थल के अधिकार देने से बचते रहेंगे।
  • विधेयक का उद्देश्य गिग कर्मियों का एक डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में गिग कर्मियों को पंजीकृत किया जाएगा, और इस विवरण को गिग कर्मचारी कल्याण बोर्ड को भेजा जाएगा। इसमें किया गया पंजीकरण हमेशा के लिए चलेगा, चाहे कर्मचारी प्लेटफार्म पर है या नहीं। ये कर्मकार सामान्यतः एक ही दिन में एक से अधिक एग्रीगेटर्स के लिए काम करते है। पंजीकरण होने से किसी भी नियोक्ता को इनके अन्य नियोक्ताओं के साथ श्रमिक के काम की प्रकृति की पूरी जानकारी मिल सकती है। ऐसे में गिग वर्कर के अवसर सीमित हो सकते हैं।

इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए कोई सुरक्षात्मक प्रावधान नहीं है।

  • विधेयक में एक प्रतिनिधि कल्याण बोर्ड और कल्याण कोष बनाने की बात कही गई है। इसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा गारंटी देना है। लेकिन यह न तो सामाजिक सुरक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, और न ही कल्याणकारी उपाय निर्दिष्ट करता है। उल्टे, वह इन सबको कल्याण बोर्ड के विवेक पर छोड़ देता है।

हालांकि, बोर्ड में पांच गिग वर्कर प्रतिनिधियों को राज्य सरकार नामित करेगी, लेकिन नौकरशाही और सरकार के शक्तिशाली प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इनकी कितनी आवाज सुनी जाएगी, इस पर संदेह है।

अंततः इन कमियों के कारण, यह विधेयक अपने उद्देश्य पर खरा उतरेगा या नहीं, इस पर संदेह है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित इंदु पूर्णिमा, सनी जोस और रघुपति के लेख पर आधारित। 30 अगस्त, 2023

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