
गाजा के पुननिर्माण का अमेरिकी प्रस्ताव गलत
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हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने गाजा के पुनर्निर्माण का हवाला देते हुए वहाँ के 20 लाख से अधिक निवासियों को अन्य देशों में भेजने की योजना बनाई है। ज्ञातव्य हो कि 1948 में फिलिस्तीन में इजरायल देश बनाने के साथ ही वहाँ के सात लाख फिलिस्तीनीयों को विस्थापित कर दिया गया था। वे इस जबरन सामूहिक निष्कासन को नकबा (आपदा) के रूप में याद करते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप की इस घोषणा ने अब इन्हें और भी विचलित कर दिया है। इस योजना में कई बुनियादी समस्याएं भी हैं।
कुछ बिंदु –
- फिलिस्तीनी जनता किसी की सम्पति नहीं है। इजरायल और अमेरिका इन पर अपनी मर्जी नहीं चला सकते हैं। वे एक राष्ट्रीय पहचान वाले लोग हैं। इनका सामूहिक इतिहास और भविष्य वहाँ की भूमि से गहराई से जुड़ा हुआ है।
- अरब देशों ने भी ट्रंप के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। वे फिलिस्तीनी भावना का सम्मान करते हैं।
- ट्रम्प का गाजा के पुनर्निर्माण का दृष्टिकोण इजरायल के दूरगामी एजेंडे से जुड़ा दिखता है। इजरायल चाहता है कि गाजा के इस क्षेत्र को यहूदियों के साथ बसाया जाए।
इन सबके साथ ट्रंप को जातीय विस्थापना का विचार त्याग देना चाहिए। इस क्षेत्र में उसे अपने प्रभाव का उपयोग युद्धविराम और शांति के लिए करना चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 07 फरवरी, 2025
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