एकल उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध प्रभावी कैसे बने
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केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने लगभग एक वर्ष से एकल-उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह प्रतिबंध प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर है। फिर भी यह अभी भी शहरों में नालियों को जाम कर रहा है। दरअसल, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने इस मुद्दे को जरा भी गंभीरता से नहीं लिया है। कर्नाटक में कई स्थानों के साथ ही बेंगलुरू की नगरपालिका ने इस नियम को कड़ाई से लागू किया है। इसके लिए जागरूकता अभियान और दंडात्मक उपायों को सक्रिय रखा है।
आखिर एकल उपयोग प्लास्टिक बंद क्यों नहीं होता?
- इसका सीधा उत्तर है कि इसके विकल्प बहुत महंगे हैं। सरकार को और क्या करना चाहिए?
- सरकार को इसके ऐसे विकल्प लाने होंगे, जो लागत, सुविधा और व्यापक उपलब्धता पर खरे उतरें। ऐसा विकल्प लाने के लिए सरकार को रिसायकलिंग योग्य या खाद बनाने योग्य उत्पाद लाने के लिए नवाचार को बढ़ावा देना होगा।
प्लास्टिक कचरा नगरों में बाढ़ और जलभराव का एक बहुत बड़ा कारण बना हुआ है। अतः इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र उपाय दिखाई देता है। इससे पहले सरकार को इसके विकल्प पर काम कर लेना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 जुलाई, 2023