एक मजबूत बिम्सटेक की आशा

Afeias
11 Apr 2022
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बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एण्ड इकॉनॉमिक कार्पोरेशन या बिम्सटेक की गठन के 25 वर्ष हो चुके हैं। हाल ही में इस समूह ने कई क्षेत्रों में सहयोग पर सक्रियता दिखानी शुरू की है।

बिम्सटेक देश –

बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, भूटान, म्यामांर, नेपाल, थाईलैण्ड।

बिम्सटेक देशों के बीच महत्व के क्षेत्र –

परिवहन, आपराधिक मामले, बिम्सटेक तकनीक हस्तांतरण सुविधा या टीटीएफ राजनयिक अकादमियों/ प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग, बिम्सटेक केंद्रों/संस्थाओं की भविष्य की स्थापना के लिए मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन का एक टेम्पलेट, आशावाद का संकेत देता है।

इसके अलावा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति का विचार भी वर्तमान बैठक का महत्वपूर्ण विषय रहा है।

बिम्सटेक देशों के बीच तालमेल क्यों जरूरी है ?

  1. भौगोलिक निकटता प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक और मानव संसाधनों, समृद्ध ऐतिहासिक संबंधों और सांस्कृतिक विरासत के कारण बिम्सटेक की क्षमता बहुत अधिक है। दरअसल, बंगाल की खाड़ी में हिंद-प्रशांत का केंद्र बनने की क्षमता है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां पूर्व और दक्षिण एशिया की प्रमुख शक्तियों के रणनीतिक हित टकराते हैं। इस दृष्टि से बिम्सटेक को एक गतिशील और प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाने में सभी सदस्य देशों का राजनीतिक समर्थन और मजबूत प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है।
  1. बिम्सटेक, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है। ये दोनों ही एशिया के बड़े विकास केंद्र हैं। बंगाल की खाड़ी के शांतिपूर्ण, समृद्ध और टिकाऊ क्षेत्र को विकसित करने के लिए क्षेत्रीय शेडमैप संपर्क को अपग्रेड करने और हार्ड व सॉफ्ट बुनियादी ढांचे का विकास करने की आवश्यकता है। विभिन्न सम्मेलनों और बैठकों के माध्यम से परिवहन के साथ-साथ उद्योग व्यापार मंडलों और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है।
  1. बिम्सटेक देशों के बीच में तालमेल के लिए शिखर सम्मेलन आयोजित करके एक चार्टर की मंजूरी से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसके कद में वृद्धि होगी। बिम्सटेक क्षेत्र के विकास और आर्थिक प्रगति की खोज को सदस्य देशों के बीच एकल-केंद्रित फोकस और सहयोग से प्राप्त किया जा सकता है।

भारत की भूमिका –

पूरे क्षेत्र के मानसिक मानचित्र को बदलने में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने बंगाल की खाड़ी को ‘पड़ोसी पहले’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों का अभिन्न अंग बना दिया है। यह क्षेत्रीय एकीकरण के पक्ष में तेजी ला सकता है।

इसके अलावा ‘सिक्योरिटी एण्ड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रिजन’ या सागर के माध्यम से कांउटर टेरिरिजम एण्ड ट्रांसनेशनल क्राइम या सीटीटीसी, ऊर्जा व आपदा प्रबंधन तथा पर्यावरण की प्राकृतिक व मानवनिर्मित आपदाओं को नियंत्रण में रखा जा सकता है। इनमें से दो क्षेत्रों का नेतृत्व भारत कर रहा है। भारत ने बंगाल की खाड़ी के परंपरागत सुरक्षा साधनों को समावेशी बना दिया है। इस क्षेत्र में वह ‘नेट सिक्योरिटी प्रदाता’ की भूमिका निभाना चाहता है।

बिम्सटेक को लगातार कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें संस्थागत, सचिवालय और समेकित वित्त पोषण की कमी और स्पष्ट दिशानिर्देशों की अनुपस्थिति शामिल है। उम्मीद की जा सकती है कि चार्टर के माध्यम से इन कमजोरियों को दूर किया जाएगा, और संगठन अपनी वास्तविक क्षमता से काम कर सकेगा।

समाचार पत्रों पर आधारित।