एक अच्छा पड़ोसी : बांग्लादेश

Afeias
04 Nov 2020
A+ A-

Date:04-11-20

To Download Click Here.

हाल के वर्षों में भारत की गिरती आर्थिक स्थिति ने एक प्रकार की चिंता पैदा कर दी है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आई एम एफ) के वर्ल्ड इकॉनॉमिक आउटलुक के प्रकाशन के बाद यह स्थिति और भी गंभीर लगने लगी है। इस प्रकाशन में कहा गया है कि इस वर्ष के अंत तक बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय, भारत से आगे निकल जाएगी। हालांकि, इसकी बढ़त को बहुत मामूली बताया जा रहा है। परंतु इसने एनडीए सरकार की आर्थिक नीतियों को चुनौती देने का एक अवसर खड़ा कर दिया है। बांग्लादेश की इस सफलता के पीछे के कारणों को क्षेत्रीय आधार पर समझा जाना बहुत जरूरी है। इसके लिए कुछ बिंदुओं पर नजर डाली जानी चाहिए –

  • जनसांख्यिकीय रूप से बांग्लादेश विश्व का आठवां बड़ा देश है। इसकी जनसंख्या 16 करोड़ के लगभग है। दक्षिण एशिया उपमहाद्वीप में अभी तक पूरे विश्व के लिए भारत और पाकिस्तान, ये दो ही देश महत्व रखते आए हैं। विश्व की रुचि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों, कश्मीर पर उसके दावों, भारत के साथ युद्ध और आतंकवाद में ही अधिक रही है। पिछले पाँच दशकों से बांग्लादेश में हो रहे धारणीय आर्थिक विकास ने इस छोटे से देश के प्रति अब विश्व का नजरिया बदल दिया है।
  • इस वर्ष बांग्लादेश का सकल घरेलू उत्पाद 320 अरब डॉलर रहा है, जबकि 2019 में पाकिस्तान का जीडीपी 275 अरब डॉलर रहा। आई एम एफ का अनुमान है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वर्ष और भी गिरेगी। एक दशक पहले तक पाकिस्तान की तुलना में बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति काफी नीचे थी।
  • बांग्लादेश ने इस बीच में अपनी जनसंख्या को नियंत्रित किया है। अपनी मुद्रा स्फीति पर पकड़ मजबूत रखी है। पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश परमाणु संपन्न नहीं है, और न ही वह हिंसक धार्मिक उन्माद फैलाता है। वह अपनी टिकाऊ आर्थिक नीतियों के दम पर आगे बढ़ रहा है।
  • उपमहाद्वीप के पूर्वी हिस्से की क्षेत्रीय एकता को प्रोत्साहित करने में बांग्लादेश का आर्थिक विकास सहयोगी बन रहा है। जहां पाकिस्तान ने इन देशों के साथ आर्थिक असहयोग का रवैया अपनाया है, वहीं अन्य कारणों से भी सार्क का भविष्य समाप्त सा हो गया है। दूसरी ओर, भारत, नेपाल और भूटान बांग्लादेश के साथ निरंतर सहयोग करने के इच्छुक रहे हैं। इस दिशा में बनाया गया बीबीआईएन फोरम फिलहाल कुछ सुस्त पड़ा हुआ है, जिसे सक्रिय करने की आवश्यकता है।
  • बांग्लादेश की आर्थिक सफलता ने पूर्वी एशिया के कई देशों को आकर्षित किया है। फिलहाल, अमेरिका भी बांग्लादेश के साथ संबंधों की संभावना तलाश रहा है। हाल ही में एक अमेरिकी नेता ने भारत दौरे के बाद पाकिस्तान के बजाय बांग्लादेश का रूख किया था।
  • बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति का लाभ, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मिल सकता है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पश्चिम बंगाल की तुलना में डेढ़ गुना अधिक है।

इस पर विचार करते हुए पूर्वी भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ समझौते भी किए गए हैं। दोनों देशों के बीच किए गए अनेक द्विपक्षीय सहयोग संबंधों को नागरिकता संशोधन अधिनियम की अग्नि ने फिलहाल दहन कर दिया है।

आगामी वर्ष, बांग्लादेश अपनी स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। इस अवसर पर भारत को दोनों देशों के बीच विकास से जुड़ी समृद्धि पर काम करने की योजना पर काम करना चाहिए।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित सी राजा मोहन के लेख पर आधारित। 20 अक्टूबर, 2020