लव जिहाद और समाज की कट्टरता

Afeias
03 Nov 2020
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Date:03-11-20

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हाल ही में तनिष्क कंपनी के एक विज्ञापन को इस आधार पर वापस लेना पड़ा कि वह ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहित करता है। ऐसा होना कानून और व्यवस्था संबंधी मशीनरी की एक और विफलता को उजागर करता है। यह दर्शाता है कि इंटरनेट के युग में हम किस प्रकार के रूढ़िवादी समाज को चला रहे हैं। इससे यह भी दिखता है कि हम भारत के नागरिक असहाय होकर कट्टरता की ओर बढ़ रहे हैं।

आलोचकों ने कहा कि यदि विज्ञापन में मुस्लिम महिला का विवाह हिंदू पुरूष से करवाया जाता, तो यह स्वीकार्य होता। इस पूरे प्रकरण में कई नेता भी मध्ययुगीन धारणाओं में फंसते दिखे हैं। केरल के हादिया मामले में न्यायालय ने इसी धारणा के चलते एक 26 वर्षीय महिला के विवाह को संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य मानते हुए उसे उसके माता-पिता को सौंप दिया था।

संसद में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने कहा है कि लव जिहाद का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। फिर भी इस झूठ का दावा बार-बार किया जाता है। शायद दूसरों को राष्ट्र विरोधी करार देने से सामाजिक ध्रुवीकरण का जाल बुना जाता हो। वास्तव में तो यह राष्ट्र के ताने-बाने को भारी नुकसान पहुँचाता है। इस तरह की राजनीति, कई सशक्त भारतीयों के लिए मूर्खतापूर्ण कही जा सकती है। तनिष्क के इस विज्ञापन का तो अंतर्जातीय सौहर्द की दृष्टि से ग्राहकों के बीच उत्साह लाने के लिए स्वागत किया जाना चाहिए था।

अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने और मध्य वर्ग के विस्तार के साथ ही युवा वर्ग शिक्षा , ज्ञान , नए-नए अनुभव के साथ अपने विचारों में उदान्त होता जा रहा है। युवा लड़के-लड़कियां पढ़ाई और नौकरी के लिए साथ रहते हैं। इनमें से कुछ जीवन-निर्वाह के लिए हमेशा साथ रहना चाहते हैं। इसमें उनका धर्म आड़े नहीं आता। वे अपनी आस्था अखंड रख सकते हैं।

इस विज्ञापन ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर वह ‘न्यू इंडिया’ कौन सा है, जिसकी बात अक्सर प्रधानमंत्री करते हैं। क्या यही वह है, जहाँ धर्म के तथाकथित संरक्षक किसी विज्ञापन के जरिए अंतर्जातीय विवाह जैसी सौहार्दपूर्ण रस्म से एक सकारात्मक संदेश को मान्यता नहीं दे सकते। क्या यही वह नया भारत है, जहाँ किसी कलाकार या कार्पोरेट या युवा को स्वतंत्र रहने के लिए समाज के ठेकेदारों की अनुमति लेनी होगी। इससे पहले कट्टरपंथी ताकतों ने सैटेनिक वर्सेस, एम एफ हुसैन और कुछ कार्टूनिस्टों को प्रतिबंधित किया है।

सरकार को चाहिए कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकते हुए व्यवसायियों और नागरिकों को सुरक्षा का आश्वासन दे। भारतीयों को स्वेच्छा से विवाह करने की स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम , 1954 को सशक्त बनाया जाना चाहिए। इस अधिनियम में दिए गए कुछ प्रावधानों को निरस्त किया जाना चाहिए। ‘लव जिहाद’ के नाम पर दो वयस्कों के विवाह में हस्तक्षेप करने वालों के विरूद्ध उचित पुलिस कार्यवाही की जानी चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित ज़ाकिया सोमण के लेख पर आधारित। 20 अक्टूबर, 2020

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