धारणीय विकास की दिशा में ग्रीन बॉन्ड की योजना
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विकास और प्रगति के एक स्तंभ के रूप में ऊर्जा संक्रमण और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तक पहुंचने के लिए कार्यान्वयन के माध्यमों, प्रौद्योगिकी के साथ-साथ वित्त के पर्याप्त प्रवाह को प्राथमिकता दी जा रही है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान बजट में घरेलू एकीकृत सौर विनिर्माण सुविधाओं के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन को बढ़ा दिया गया है। यह वृद्धि 2030 तक 280 गीगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने के प्रस्तावित लक्ष्य के अनुरूप है। एक दूरंदेशी पहल के रूप में, ग्रिड स्केल बैटरी सिस्टम सहित ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया जाना है।
परिवहन और कृषि में ऊर्जा-संक्रमण की योजना –
- ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास छर्रों के उपयोग से न केवल कोयले पर निर्भरता कम होगी , बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय भी होगी और पराली जलाने की घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी।
- कोयला गैसीकरण और कोयले को रसायन में बदलकर इसके न्यूनतम उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- परिवहन क्षेत्र में, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ईंधन-मिश्रण का उपयोग बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। अमिश्रित ईंधन पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
- भारत सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के अंतर्गत इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए भूमि के प्रावधान के साथ, बैटरी-स्वैपिंग नीति की घोषणा की गई है।
- रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की शुरूआत गंगा किनारे की कृषि भूमि से किए जाने की योजना है।
ग्रीन बॉन्ड –
- पर्यावरण, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई में प्रस्तावित पहल की विस्तृत श्रृंखला को चलाने के लिए, भारत सरकार ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी।
- हरित ढांचें हेतु संसाधन जुटाने की योजना, सरकार के ओवर ऑल मार्केट बारोयिंग का हिस्सा होगी। इससे प्राप्त आय, सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं तक भी जाएगी।
जलवायु संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत को खुद ही साधन जुटाने होंगे। इस दिशा में ग्रीन बॉन्ड एक सही कदम है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित भूपेंद्र यादव के लेख पर आधारित।