धारा 66 ए का उपयोग बंद होना चाहिए
To Download Click Here.
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए को असंवैधानिक घोषित किए हुए सात वर्ष हो चुके हैं। फिर भी बहुत सी राज्य सरकारें इसका उपयोग कर रही हैं। लगभग 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एकत्र किए गए डेटा से पता चलता है कि 2015 में इसको रद्द करने से लेकर अब तक इसके अंतर्गत 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, और 169 में अदालती कार्यवाही भी चल रही है।
कुछ मुख्य बातें –
- आई टी अधिनियम 2000 में धारा 66ए 2009 में जोड़ी गई थी। इस धारा से पुलिस को यह शक्ति मिल गई थी कि वह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पोस्ट की जाने वाली सामग्री के ’आक्रामक’ श्रेणी का होने पर गिरफ्तारी कर सके। इसके चलते इस धारा का दुरूपयोग किया जाने लगा। सत्ता के विरोध में की जाने वाली पोस्ट को ‘आक्रामक’ बताकर घड़ाधड़ गिरफ्तारियां की जाने लगीं।
- आम जनता के बीच कानूनों और अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी भी चिंता का विषय है। खासतौर पर एक खुले समाज के मूल्य, कानून के शासन और संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास करने वाले देश में ऐसा नहीं होना चाहिए।
- धारा 66ए का होना, हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता को तनावपूर्ण बना रहा है।
सभी राज्यों के सभी स्तरों की न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकारियों का यह व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वास्तव में आपत्तिजनक और जनता को खतरे में डालने वाले अस्तित्वहीन कानून से जल्द-से-जल्द छुटकारा पाना ही श्रेयस्कर होगा।
‘द इकानॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 अक्टूबर, 2022
Related Articles
×