
धारा 66 ए का उपयोग बंद होना चाहिए
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कुछ मुख्य बातें –
- आई टी अधिनियम 2000 में धारा 66ए 2009 में जोड़ी गई थी। इस धारा से पुलिस को यह शक्ति मिल गई थी कि वह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पोस्ट की जाने वाली सामग्री के ’आक्रामक’ श्रेणी का होने पर गिरफ्तारी कर सके। इसके चलते इस धारा का दुरूपयोग किया जाने लगा। सत्ता के विरोध में की जाने वाली पोस्ट को ‘आक्रामक’ बताकर घड़ाधड़ गिरफ्तारियां की जाने लगीं।
- आम जनता के बीच कानूनों और अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी भी चिंता का विषय है। खासतौर पर एक खुले समाज के मूल्य, कानून के शासन और संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास करने वाले देश में ऐसा नहीं होना चाहिए।
- धारा 66ए का होना, हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता को तनावपूर्ण बना रहा है।
सभी राज्यों के सभी स्तरों की न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिकारियों का यह व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वास्तव में आपत्तिजनक और जनता को खतरे में डालने वाले अस्तित्वहीन कानून से जल्द-से-जल्द छुटकारा पाना ही श्रेयस्कर होगा।
‘द इकानॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 अक्टूबर, 2022