मच्छर-जनित बीमारियों पर नियंत्रण क्योें नहीं पाया जा रहा?

Afeias
27 Sep 2016
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stopmosquitoes_456pxDate: 27-09-16

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  • डेंगू, चिकनगुनिया और इन्ही के लक्षणों से मिलते-जुलते लक्षणों वाले बुखार ने देश के कई भागों पर अपना धावा बोल रखा है। वायरस से फैलने वाली बीमारियों के उग्र रूप को देखते हुए लगता है कि भारत वेक्टर-जनित बीमारियों के नियंत्रण में बहुत कमजोर है। इसके कई कारण हैं-
  • मच्छरों के प्रजनन को रोकने का तरीका बहुत पारंपरिक है। घरों में मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए नगर निगम अभी भी जनता के बीच जागकता अभियान चलाता है। आसपास के क्षेत्रों में धुआं छोड़कर मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करता है। ये सब तरीके ठीक हैं, परंतु पर्याप्त नहीं। मच्छरों के प्रजनन दर की तुलना में नगर निगम के ये प्रयास काफी सुस्त हैं।
  • फ्रेंच कंपनी सैनोफी ने डेंगू के लिए तैयार डेंगवैक्सिया नामक वैक्सीन को बाजार में लाने के लिए भारत सरकार से अपील की है। परंतु सरकार इसके लिए अभी तैयार नहीं है। डेंगू और चिकनगुनिया के लिए घरेलू वैक्सीन तैयार करने के बहुत सुस्त प्रयास किए जा रहे हैं। इन बीमारियों के इतना फैलने के बाद भी आपात स्थिति जैसी कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है।
  • सन् 2013 में जेनेटिक इंजीनियरिंग एवं जीवविज्ञान के अंतरराष्ट्रीय संस्थान ने डेंगू का वैक्सीन विकसित करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। कुछ समय बाद ही वैज्ञानिकों ने धनराशि की कमी के चलते बाधा आने की शिकायत की, जिस पर शायद ही कोई ध्यान दिया गया।

डेंगू से निपटने में किसी ठोस नीति की कमी, वैक्सीन के संबंध में कोई स्पष्ट जवाबदेही न होने और मत भिन्नता के कारण आम जनता लगातार परेशान हो रही है।

इंडियन एक्सप्रेस के संपादकीय पर आधारित

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