चुनाव आयोग के नए नियमों से जुड़े लाभ और चिंताए

Afeias
18 Aug 2025
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निर्वाचन आयोग ने कुछ नए नियम और संशोधन किए हैं। इनमें विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण या स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एस आई आर) भी शामिल है। यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू की जाएगी।

इससे जुड़े लाभ –

  • मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं और डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाना।
  • केवल योग्य भारतीय नागरिक ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

इससे जुड़ी चिंताएं –

  • गरीब, दलित, मुस्लिम, आदिवासी और प्रवासी समुदायों के कई व्यक्तियों/परिवारों के पास अक्सर औपचारिक जन्म प्रमाणपत्र नहीं होते हैं।
  • राज्य के दस्तावेजों में ही कई लोगों के जन्म स्थान या अन्य प्रमाणों से जुड़ी कमियां होती हैं। ऐसे में माता-पिता के जन्मस्थान की पुष्टि से जुड़े दस्तावेज कैसे प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
  • चुनाव आयोग के नए नियमों से जुड़े दस्तावेजों या अन्य प्रमाणों के बारे में जागरूकता और स्पष्टता नहीं है। बहुत से मतदाता पूरी तरह से समझ नहीं पाते कि कौन से दस्तावेजों की मांग है।
  • यह प्रक्रिया मुख्य रूप से क्षेत्र-स्तरीय अधिकारियों की विवेकाधीन शक्तियों पर निर्भर करती है। इससे विसंगतियां, देरी या पक्षपातपूर्ण निर्णय हो सकते हैं।
  • चुनाव आयोग ने न तो मतदाता सूची से हटाए जा रहे नामों की सूची प्रकाशित करने की प्रतिबद्धता जताई है, न ही उसने आवेदकों को उनके जमा किए गए नामों की स्थिति के लिए स्पष्ट प्रणाली दी है। इससे गलती से नाम हटाए जाने की स्थिति में नागरिक या मीडिया निगरानी कैसे कर सकती है। साथ ही, चुनाव केंद्रों के फुटेज और वेबकास्ट को 45 दिनों के भीतर हटाए जाने का नियम बना दिया गया है।

ऐसे में, चुनावों की निष्पक्षता पर संदेह होना स्वाभाविक है।

‘द हिंदूमें प्रकाशित कृष्णजी सिन्हा के लेख पर आधारित। 8 जुलाई, 2025