बुजुर्गों की देखभाल-कितनी जरूरी
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विश्व के कुछ प्रमुख देशों में वृद्ध होती जनसंख्या की देखभाल करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। अभी भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठा रहा है। परंतु यहाँ भी वृद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस चुनौती का सामना करने के लिए नीतियों की दिशा को अनुकूल करने की आवश्यकता होगी।
कुछ तथ्य –
- 2015-19 में भारत की जीवन प्रत्याशा दर 69.7 वर्ष रही है। 72.6 वर्ष के वैश्विक औसत की तुलना में अभी भी यह कम है।
- जीवन प्रत्याशा में सुधार के लिए स्वास्थ्य देखभाल तंत्र को दुरूस्त रखना, स्वास्थ्य सेवा तक सुगम पहुँच बनाना और बीमारी की रोकथाम के उपायों को बढ़ाया जाना चाहिए।
- असिस्टेड लिविंग या जीने के लिए सहायता की जरूरत वाले बुजुर्गों के लिए रिटायरमेंट होम्स की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।
- पेंशन योजनाओं और बीमा पॉलिसी की व्यापकता जैसी कल्याणकारी योजनाओं की जरूरत है।
भारत का युवा इसका भविष्य हो सकता है, लेकिन बढ़ती उम्र वाली वर्तमान और निकट भविष्य वाली आबादी के लिए आवश्यक सहयोग जरूर जुटाया जाना चाहिए। आखिरकार युवाओं को भी अपने भविष्य को सुखद बनाए रखने के लिए इन नीतियों की जरूरत होगी।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 14 जून, 2022
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