भ्रष्टाचार की रोकथाम के प्रयासों पर एक नजर
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भ्रष्टाचार, एक ऐसा दूषित तंत्र है, जो सरकार के साथ जनता के संबंधों को बीमार कर देता है। इसके मद्देनजर हाल ही में जी-20 समूह की बैठक रखी गई थी। इसमें भ्रष्टाचार विरोधी उपायों पर चर्चा की गई। इसी कड़ी में हम स्वतंत्रता के बाद से भारत सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी कदमों पर एक नजर डालते हैं –
– सन् 1957 में सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी में हुई वित्तीय अनियमितता के चलते संसद में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बहस हुई। अंततः संथानम् समिति बनाई गई। इस समिति ने भ्रष्टाचार को मुख्य रूप से चार कारणों से जोड़ा था –
1) प्रशासनिक कामकाज में देरी।
2) नियामक तंत्र के गठन की अपेक्षा, सरकार का अपने ढंग से समस्याओं के हल पर भरोसा करना।
3) सरकारी अधिकारियों में निहित शक्तियों के प्रयोग में व्यक्तिगत विवेक की गुंजाइश का होना।
4) नागरिकों को प्रभावित करने वाले मुद्दों से निपटने के लिए बोझिल प्रक्रियाएं।
समिति ने माना कि –
- भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन, विभागीय कार्रवाई तथा दंड जैसे सामान्य मानक स्थापित करके उन्हें लागू करना आवश्यक है।
- भ्रष्टाचार की जांच के लिए सतर्कता आयोग की जरूरत है।
- इस सिफारिश पर केंद्रीय सर्तकता आयोग अधिनियम, 2003 लाया गया। इसके साथ ही लोकायुक्त या राज्य सतर्कता आयोग बनाए गए। ये भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो हैं, जो राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने में मदद करते हैं।
- केंद्र में केंद्रीय सतर्कता आयोग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तथा लोकपाल हैं, जो सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही के लिए काम करते हैं।
भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए तकनीक कितनी कारगर –
– सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही और पारदर्शिता से भ्रष्टाचार के मामलों में कमी देखी जाती है। इस हेतु आयोग ने सतर्कता प्रशासन के लिए तकनीक के माध्यम से सुरक्षात्मक उपाय अपनाए हैं।
– ऑनलाइन रेलवे टिकट आरक्षण, ऑनलाइन आयकर रिफंड का भुगतान तथा ऑनलाइन सम्पत्ति कर जमा करने की पहल से पारदर्शिता आई है।
जन-भागीदारी आवश्यक है –
भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार करने के लिए मानवीय मूल्यों और व्यक्तिगत नैतिकता को उभारा जाना चाहिए। इसमें जनता को भी सहयोग करना होगा। जनता की भागीदारी के लिए आयोग ने शिकायत प्रबंधन प्रणाली विकसित की है।
लोकसेवकों के खिलाफ शिकायातों के लिए एक अलग व्हिसल ब्लोअर तंत्र है। इसमें एक पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इस प्रणाली में शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है।
सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा के विचार को बढावा देने के लिए नागरिकों और संगठनों के लिए अखंडता की रक्षा की प्रतिज्ञा तैयार की गई है। इसके द्वारा सभी क्षेत्रों में सत्यनिष्ठा और कानून के शासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए नागरिक प्रतिबद्ध हैं।
सन् 2000 से प्रतिवर्ष एक सतर्कता जागरूकता सप्ताह आयोजित किया जाता है। सन् 2010 में गठित जी-20 भ्रष्टाचार विरोधी कार्यसमूह ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में क्षमता निर्माण, सर्वोत्तम प्रथाओं को बनाए रखने, विकास और राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी रणनीतियों के कार्यन्वयन पर ध्यान केंद्रित किया है। इस प्रकार से भारत ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जो ढांचा तैयार किया है, वह वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप कहा जा सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित पी.डेनियल के लेख पर आधारित। 1 मार्च, 2023