भारतीय शहरों की वर्तमान स्थिति में 15 मिनट सिटी की जरुरत

Afeias
10 Apr 2025
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क्या है 15 मिनट सिटी की परिकल्पना –

15 मिनट सिटी की परिकल्पना का अर्थ है, जहाँ शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने में केवल 15 मिनट लगे।

शहरों की वर्तमान स्थिति –

  • शहरों की वर्तमान स्थिति में एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने में 2 घंटे या उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है।
  • उत्तर प्रदेश में 1400 हरित इमारत परियोजनाओं को मंजूरी दी तथा दिल्ली में साइबर हब और साइबर पार्क ग्रीन सर्टिफिकेशन हुआ है। पर औसत शहरवासी लचर व्यवस्था से बुरी तरह परेशान हैं।
  • अंतरर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है दुनिया भर में 30% ऊर्जा इमारतों के रखरखाव में खर्च होती है और 26% उत्सर्जन भी उन्हीं से होता है। यह ऊर्जा खपत घरों को ठंडा रखने, रोशनी के लिए व उपकरण चलाने के कारण होती है।
  • इसी कारण से हरित इमारतों की बात की जा रही है, जिसमें घरों को ठंडा रखने के लिए प्राकृतिक तरीकों को अपनाया जाएगा तथा अन्य ऊर्जा का स्रोत नवीकरणीय ऊर्जा होगी।
  • US ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल “लीडरशिप इन एनर्जी एंड इनवायरमेंट डिजाइन” (लीड) इस मामले में शीर्ष 10 देशों की सूची जारी करता है, जिसमें हम तीसरे स्थान पर हैं। हमें 370 परियोजनाओं के लिए लीड सर्टिफिकेट प्राप्त हुए हैं।
  • कन्फेडरेशन ऑफ रियल स्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 2030 तक 4000 प्रमाणित हरित आवासीय परियोजनाओं के लिए IDBC के साथ हाथ मिलाया है।

कैसे होने चाहिए 15 मिनट शहर –

  • हमे शहरी नियोजन पर फिर से विचार कर हरित इमारतों के साथ-साथ उन्हें पैदल चलने लायक भी बनाना होगा। सुगम और एकीकृत जनपरिवहन को बढ़ावा देना होगा। शहरी नियोजन में हरियाली को भी प्राथमिकता दी जाए।
  • कोपेनहेगन में 50% आवाजाही साइकिल से होती है। सिंगापुर में भी जन परिवहन व्यवस्था के कारण आवागमन में उत्सर्जन बहुत कम होता है।
  • दिल्ली, मुंबई और बेंगलूरु में मेट्रो स्टेशन का जाल फैलाया जा रहा है। पर घर से स्टेशन तक पहुँचने में असुविधा होती है। इसे कम किया जाए।
  • जयपुर, वाराणसी और हैदराबाद जैसे शहरों में पुरानी इमारतें बाजार, मंदिर और चैक के पास बनाई जाती थीं, जिससे लोग दफ्तर, बाजार या मनोरंजन के लिए पैदल जा सकें।

शहर में पर्यावरण, जन स्वास्थ्य और आर्थिक किफायत के लिए जरूरी है। लोगों को जब अपने दफ्तर तक की दूरी तय करने के लिए ट्रैफिक जाम तथा धूल-धुएँ से गुजरना पड़ता है, तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है तथा उत्पादकता भी घटती है इसीलिए 15 मिनट शहर की परिकल्पना पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

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