भारतीय अप्रवासियों की बढ़ती संख्या
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भारतीय प्रवासी पूरे विश्व में तेजी से फैल रहे हैं। हाल ही में ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक कॉपरेशन एण्ड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2023 रिपोर्ट के अनुसार, 38 देशों के संगठन में 4 लाख या कुल प्रवास का 7.5% भारतीय प्रवासियों का है (स्टूडेन्टस को छोड़कर)। अपनी सीमाओं से बाहर फैलते भारतीयों का बढ़ता प्रतिशत एक नई तस्वीर दिखाता है।
कुछ बिंदु –
- भारतीयों के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया और कनाडा अभी भी प्रवास के लिए पसंदीदा देश हैं। ब्रिटेन तो एक पीढ़ी पहले छूट चुका है।
- अब भारतीयों ने गैर-अंग्रेजी भाषी देशों को भी अपनी पसंद बनाना शुरू कर दिया है। 2019 और 2021 के बीच ऐसे देशों में अप्रवास की संख्या लगभग 30,000 रही है।
- डुओलिंगों की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों के लिए कोरियन, स्पेनिश और फ्रेंच भाषाएं प्रमुख पसंद रही हैं।
भारतीयों के नए देशों में अप्रवास को लेकर कुछ विशेष सवाल हैं, जिनका अभी तक डेटा प्राप्त नहीं हुआ है। अप्रवासियों की शैक्षिक उपलब्धियां, पेशा, लिंग, आर्थिक स्थिति व भारत में वे किस राज्य के निवासी हैं, आदि ऐसे विवरण हैं, जो उनके प्रवास के पीछे का कारण बता सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि भारतीय ऐसे युग में नए घर ढूंढ रहे है, जहाँ आप्रवासन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है। बहुत से लोग इसे मानव पूंजी की हानि के रूप में देख रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यह भारत को विश्व से जोड़कर एक महाअखंड भारत की कल्पना को साकार कर रहा है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 अक्टूबर, 2023