भारत-मिस्र के बीच रणनीतिक साझेदारी समझौता
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कुछ बिंदु –
- हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने मिस्र की यात्रा की है। यह भू-राजनीतिक संबंधों में आए महत्वपूर्ण मोड़ के अलावा इसलिए भी उल्लेखनीय है, क्योंकि 1997 के बाद से पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने मिस्र की यात्रा की है।
- 2023 के गणतंत्र दिवस पर मिस्र के राष्ट्रपति अदेल फतह अलसीसी को राजकीय अतिथि बनाया गया था।
- मिस्र पर अभी 163 अरब डॉलर का विदेशी ऋण है। वहां बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं धीमी गति से चल रही हैं। यह एक अच्छा अवसर है, जब भारत वहाँ 3.15 अरब डॉलर का निवेश कर सकता है।
- अभी तक भारत मिस्र से तेल, गैस और रासायनिक उर्वरकों का आयात करता रहा है। भारतीय कंपनियां मिस्र के नवीकरणीय ऊर्जा व ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में निवेश कर ही रही हैं। स्वेज कैनाल इकॉनॉमिक जोन को एक औद्योगिक और लॉलिस्टिक हब की तरह तैयार किया गया है। यह क्षेत्र भारत को अफ्रीका, पश्चिम एशिया और यूरोप के बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद करेगा।
- संबंधों में सुधार के चलते अब दोनों में रक्षा समझौते भी हो रहे हैं। पायरेसी और आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त अभ्यास किया जाना है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने मिस्र को अपने सिंगल इंजन वाले तेजस विमान देने, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का प्रस्ताव रखा है।
दोनों देशों की दोस्ती 1955 में शुरू हुई थी। इसी बीच स्वेज कैनाल संकट आया। इसके बाद 1961 में गुट निरपेक्ष आंदोलन की शुरूआत हुई थी। दोनों ही देशों ने इसमें संस्थापक की भूमिका निभाई थी। दुनिया में मिस्र गेहूं का सबसे बडा आयातक है। रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर भारत ने गेहूं भेजने के लिए अथक प्रयास किया था, जिसे ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव की तरह जाना जाता है। इस पृष्ठभूमि के चलते मिस्र के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘द ऑर्डर ऑफ द नाइल’ सम्मान दिया है। यह मिस्र को दी गई मानवीय सेवाओं के लिए दिया जाता है। मिस्र-भारत संबंध घनिष्ठता की ओर बढ़ रहे हैं। इसका भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है।
समाचार पत्रों पर आधारित। 27 जून, 2023
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