
भारत में भू-जल की रिचार्जिंग जरूरी
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- भारत में भू-जल का जितना दोहन किया जा रहा है, उसकी तुलना में रिचार्ज या पुनर्भरण कम हो रहा है।
- 2024 में भारत में पर्याप्त वर्षा हुई है। लेकिन हम उस जल को उतना बचा नहीं पाए, जितना कि 2023 में बचा लिया था। इस वर्ष लगभग 2 अरब टन रिचार्ज कम हुआ है।
- इसका एक कारण हमारे नगरों का क्षैतिज विस्तार है।
- पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश में कृषि के लिए भू-जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है।
- सच्चाई यह है कि अकेले बारिश से भूजल का पुनर्भरण नहीं होता है। वर्षा जल से इसकी दो-तिहाई पूर्ति होती है।
- सरकारी डेटा से पता चलता है कि भारत में सालाना औसतन 3,880 अरब टन वर्षा होती है। इसमें से केवल 436 अरब टन पानी ही अवशोषित किया जाता है।
वर्षा जल संचयन को बढ़ाना राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग के चलते अब बारिश के दिन कम हो गए हैं, और बहुत भारी बारिश के दिन बढ़ गए हैं। नतीजतन बाढ़ ज्यादा आने लगी है। इन सबका समाधान जल्द होना चाहिए, अन्यथा पानी होते हुए भी प्रबंधन के अभाव में हम पानी के लिए तरस जाएंगे।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 14 जनवरी, 2025
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