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भारत में पेटेंट से संबंधित कुछ तथ्य
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भारत में नवोन्मेष को बढ़ावा देने और रोजगार सृजित करने के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के साथ, पेटेंटिंग की गति को तेज करने की जरूरत है।
- प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद् ने अपने एक पत्र में केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। इस पत्र के माध्यम से बताया गया है कि पेटेंट कार्यालय में कर्मचारियों की बहुत कमी है। इसके चलते आवेदनों को आगे बढ़ाने में देर होती है, और अन्य देश इसका लाभ ले जाते हैं।
- भारत के पेटेंट कार्यालय में 2020 के चीन के 13000 से अधिक और अमेरिका के 8000 के मुकाबले सिर्फ 858 परीक्षक और नियंत्रक थे। जबकि पेटेंट आवेदन 2016-17 में 45,444 से बढ़कर 2021-22 में 66,000 से अधिक हो गए हैं। 2020 में चीन में इन आवेदनों की संख्या 15 लाख और अमेरिका में 6 लाख थी।
- भारत में जहाँ आवेदनों के निपटान के लिए औसत समय 58 महीने लगते हैंए वहीं जापान में 15, चीन में 20, अमेरिका में 21 माह है।
- पत्र का तर्क है कि पेटेंट कार्यालय के लिए 2,000 लोगों को काम पर रखने से मदद मिलेगी।
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के 2010-19 के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीयों ने देश में (1.2 लाख) और विदेश में (1.07 लाख) आवेदन दिए थे। विदेशों के 44,000 के मुकाबले भारत में केवल 13,670 पेटेंट दिए गए।
- स्टार्टअप्स के पेटेंट आवेदनों में 2016 के बाद से पांच गुना वृद्धि देखी गई थी, जो 2021-22 में 6000 को छू गई। पेटेंट, स्टार्टअप्स को फंडिंग मुहैया कराने में मदद करते हैं, जो बदले में रोजगार पैदा करते हैं।
भारत में रोजगार के संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार 2024 तक 10 लाख रिक्त पदों को भरना चाहती है। पेटेंट जैसे महत्वपूर्ण विभाग में रिक्तियों को पूरा करने का यह सही समय है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 अगस्त, 2022