भारत-फ्रांस साझेदारी की विशेषता
To Download Click Here.
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस की यात्रा की थी। भारत और फ्रांस 25 वर्षों से रणनीतिक साझेदार हैं। इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य इस साझेदारी को बनाए रखना था। कुछ और बिंदु –
- प्रधानमंत्री मोदी को फ्रांस की प्रतिष्ठित बैस्टिल परेड के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। यह दूसरा ऐसा अवसर था, जब भारतीय प्रधानमंत्री को इस परेड के लिए न्योता गया था। इसमें भारत की तीनों सेनाओं की भागीदारी थी।
- अगले 25 वर्षों के लिए रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और हरित परिवर्तन के लिए सहयोग-समझौते किए गए। इसे ‘होराइजन 2047’ का नाम दिया गया।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य व नौसैनिक आदान-प्रदान एवं क्षेत्र के देशों के त्रिपक्षीय सहयोग के लिए विकास निधि बनाने का रोडमैप तैयार किया गया।
- नौसेना के लिए 26 राफेल फाइटर जेट विमान खरीदने का निर्णय लिया गया है। तीन और स्कॉर्पियन पनडुब्बियों की खरीद को सहमति दी गई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और साफ्रान के बीच हेलीकॉप्टर इंजन को लेकर समझौता हुआ है।
- व्यापक स्तर पर देखें, तो भारत-फ्रांस की साझेदारी एक-दूसरे के प्रति रणनीतिक स्वायत्तता के सम्मान पर आधारित रही है। फ्रांस ने हमेशा ही भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से दूरी रखी है। उसने भारत पर यूक्रेन के प्रति अपना रूख बदलने के लिए कभी जोर नहीं डाला है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के दौरान यूरोपीय संसद ने मणिपुर की हिंसा पर एक आलोचनात्मक प्रस्ताव पारित किया। परंतु फ्रांस में इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की गई। भारतीय प्रधानमंत्री ने भी फ्रांस की हिंसा, और उसमें एक अल्जीरियाई किशोर की मौत का कोई मुद्दा नहीं उठाया है। इस प्रकार, यह साझेदारी भारत द्वारा बनाई गई अन्य प्रमुख साझेदारियों से अलग प्रमाणित हुई है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 जुलाई, 2023
Related Articles
×