अपने डिजिटल ढांचे को शॉक-प्रूफ बनाना होगा

Afeias
21 Aug 2024
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हाल ही में सूचना प्रौघोगिकी के क्षेत्र में विश्वव्यापी ब्लैकआउट की घटना हुई थी। इसके बाद भारत को यह  सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका लोकतांत्रिक डिजिटल बुनियादी ढांचा शॉक-प्रूफ हो।

  • इसके समाधान के रूप में एक ‘डिजिटल इंडिया’ की आवश्यकता है, जो डिजिटल गोपनीयता और डेटा संप्रभुता के साथ साफ्टवेयर समस्याओं के हल खोज सकता हो।
  • इसका फोकस ऐसे नेटवर्क अंर्तसबंधों को सुचारू रूप से चलाने पर होना चाहिए, जो इन तकनीकों के जीवन रक्षक क्षेत्र से जुड़ी हैं।
  • ‘डिजिटल इंडिया’ के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी के ऐसे परिकल्प स्वरूप को विकसित किया जाना चाहिएए जो अन्य तकनीकी उद्यमों के पास है।
  • हाल ही में हुई तकनीकी ब्लैकआउट की घटना से यह सबक भी मिलता है कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के पास ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार हो, जो हर हाल में आवश्यक सेवाओं को जारी रख सके, इस प्रकार के ब्लैकआउट को संभाला जा सके। इसे सुनिश्चित करने के लिए एकमात्र स्रोत पर निर्भर रहने की नीति को बदलना होगा।

हमारी संगठित और असंगठित अर्थव्यवस्था की निर्भरता बहुत कुछ सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित है। अतः इसका दुरूस्त होना बहुत जरूरी है।

‘ द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 जुलाई, 2024

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