
अमेरिका समर्थित भारत-मध्यपूर्व-यूरोप कॉरिडोर
To Download Click Here.
जी 20 समूह की बैठक के कई नतीजों में से भारत-मध्यपूर्व-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईईसी) समझौते पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण घटना है। यह एक अमेरिका समर्थित गलियारा है, जिसे चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव का विकल्प भी माना जा रहा है। मूलतः यह कोई गलियारा नहीं है, बल्कि इसे स्वतंत्र क्षमता रखने वाले देशों के बीच आर्थिक पहल और इंटर ऑपरेबिलिटी बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
भारत के लिए क्या निहितार्थ हैं –
- फिलहाल भारत एक विनिर्माण अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। ऊर्जा जरूरतों और निर्यात में यह आगे बढ़ रहा है।
- 2020 के अब्राहम अकॉर्ड के साथ ही भारत और इजराइली कंपनियां अरब देशों के बाजार में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती हैं। इस समझौते से भारतीय कंपनियों को ठोस जमीन मिल सकती है। ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, सैन्य-सामग्री और सेवाओं के क्षेत्र में भारत अरब देशों से संबंध मजबूत कर सकता है।
- भारत अपने डिजिटल ढांचे एवं कम लागत पर ग्रीन हाइड्रोजन-उत्पादन-प्रौद्योगिकी में सशक्त है। इन क्षेत्रों में भारत की संभावनाएं अब बढ़ सकती हैं।
- भारत को पश्चिमोत्तर में व्यापार के लिए भू-मार्ग मिल सकेगा।
- इस समझौते में समुद्री परिवहन सुविधाएं भी शामिल हैं।
- इस समझौते की सुविधाएं मांग द्वारा समर्थित होंगी। संप्रभु ऋण (सोवरिन डेट) के बजाय, इन्हें सउदी और संयुक्त अरब अमीरात के संप्रभु कोष, अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी और भारत के कॉपोरेट व फैमिली-ऑफिस निवेश द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।
- समझौते से अनेक भारतीय बुनियादी ढांचा कंपरियों को प्रसार के अवसर मिलेंगे।
कुल मिलाकर, इस गलियारे से भारत को पश्चिमी देशों में अपने पांव पसारने में मदद मिलेगी। इस मामले में अब भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान का विकल्प मिल रहा है, जिसका पूरा लाभ उठाया जाना चाहिए।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 11 सितंबर, 2023