आवास में बढ़ता निवेश
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देश में महंगे घरों और कारों की मांग की नई प्रवृत्ति देखी जा रही है। कोविड ने कामकाज का एक ऐसा तंत्र विकसित कर दिया है, जिसमें वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मिल गई है। इस प्रावधान में ऐसे प्रीमियम घरों की मांग आने लगी है, जहाँ परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के रास्ते में आए बिना अपना काम कर सकें। इसका अर्थव्यवस्था पर भी बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कुछ बिंदु –
– खुदरा ऋण में उछाल आ रहा है।
– आर्थिक सुधार को बढ़ावा मिल रहा है।
– बड़े घरों की मांग छोटे शहरों में भी जोर पकड़ रही है। इससे यहाँ भी विकास में तेजी आ रही है।
– भारत के आवास से जुड़े स्टॉक में मूल्य संवर्धन के कई गुणक प्रभाव देखे जा रहे हैं।
– प्रॉपर्टी डेवलपर्स अब जमीन की कम कीमत वाले क्षेत्रों को विकसित करके, मांग के अनुरूप प्रीमियम सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं।
– भारत के सस्ते आवास बाजार को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। इससे शहरीकरण में तेजी आ रही है।
– इसके साथ ही घरों में तकनीकी उपकरणों और साज-सज्जा की वस्तुओं व सेवाओं की भी मांग बढ़ रही है।
भारत की जनसंख्या की औसत आयु उस बिंदु के करीब पहुंच रही है, जिसकी जीवन शैली से जुड़ी मांगों से स्थायी बदलाव हो रहे हैं। यह एक बहुत ही सकारात्मक उछाल हो सकता है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 अप्रैल, 2024